Book Title: Abhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 05
Author(s): Priyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
Publisher: Khubchandbhai Tribhovandas Vora
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न सुन्दर, न गंधयुक्त ।
फूल के समान मनुष्य भी चार तरह के होते हैं । (भौतिक संपत्ति सौन्दर्य है तो आध्यात्मिक संपत्ति सुगन्ध है ।)
208. धर्मी - लक्षण
चत्तारि पुरिस जाया- पन्नता । तं जहापियधम्मे नाममेगे नो दढधम्मे,
धम्मे नाममेगे नो पियधम्मे,
एगे पियधम्मे वि दढधम्मेविं, एगे नो पियधम्मे नो दढधम्मे ॥
पुरुष चार तरह के होते हैं
कुछ व्यक्ति प्रियधर्मी होते हैं, किंतु दृढधर्मी नहीं होते । कुछ व्यक्ति दृढधर्मी होते हैं, किन्तु प्रियधर्मी नहीं होते ।
कुछ व्यक्ति प्रियधर्मी भी होते हैं और दृढ़धर्मी भी । और कुछ व्यक्ति प्रियधर्मी भी नहीं होते हैं और दृढधर्मी भी नहीं ।
209. पुरुष - गुण
श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [ भाग 5 पृ. 1026-1027] स्थानांग 4/4/3/319
चत्तारि पुरिस जाता
अटुकरे णाममेगे णो माण करे,
माण करे णाममेगे णो अट्ठकरे, . एगे अट्करे वि माण करे वि, एगे जो अटुकरे णो माण करे ।
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श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [ भाग 5 पृ. 1026
1034]
स्थानांग 4/4/3/319
अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-5 • 112