Book Title: Abhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 05
Author(s): Priyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
Publisher: Khubchandbhai Tribhovandas Vora
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सक्ति नम्बर
सक्ति का मन 189. इह खलु ! नाइ संजोगा नो ताणाए वा । 190. इह खलु काम-भोगा नो ताणाएवा । 252. इत्तो य बंभचेर....यमनियमगुणप्पहाणजुत्तं ।। 273. इमं च अबंभ चेर विरमण । 303. इहं तु कम्माइं पुरेकडाई । 435. इड्डि च सक्कारण ण पूयणं च । 460. इणमेव णावबुझंति जे जणा ।
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345. इंदियाणि कसाए य । 365. इंदिय विसयपसत्ता ।
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131. उच्चालियम्मि पाए । 311. उवेच्च भोगा पुरिसं चयंति । 314. उवणिज्जइ जीवियमप्पमायं । 347. उवकरणेहिं विहूणो । 427. उवसंते अविहेडए जे स भिक्खू ।
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436. उंछं चेर जीविय नाभिकंखे ।
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51. एमेव इत्थी निलयस्स मज्झे । 57. एए य संगे समइक्क मित्ता । 82. एविदियत्थाय मणस्स अत्था । 102.1 एसो सो परिग्गहस्स फल । 124/ एतदेवेगेसिं महब्भयं भवति । 125. एत्थ विरते अणगारे दीहरायं तितिक्खते । 126. एतं मोणं सम्म अणुवासिज्जासि । 177. एए विसहोयंतो, पिंडं सोहेइ । 246. एक्का मणुस्स जाई । 250. एकश्चतुरोवेदाः ।।
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(
अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-5 . 183
)
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