Book Title: Abhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 05
Author(s): Priyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
Publisher: Khubchandbhai Tribhovandas Vora
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भाग
490
अकारादि अनुक्रमणिका सूक्ति
अभिवान राजेन्द्र काप सक्ति का अश
अ 50. अदंसणं चेव अपत्थणं च ।
485 70. . अदत्ताणि समाययंतो । 87. अणुक्कसे अप्पलीणे ।
525 97. अणंत असरणं दुरंतं ।
555 100. अत्ताणा अणिग्गहिया करेंति ।
555 109. अपरिग्गह संवुडे य समणे ।
557 110. अहो य राओ य अप्पमत्तेण ।
560 130. अज्झप्प विसोहीए ।
612 138. अग्गं वणिएहिं आहियं ।
645 139. अद्दक्खू कामाइं रोगवं ।।
645 149. अणिहे से पुढे अहियाराऐ ।
647 151. अरति रतिं च अभिभूय भिक्खू ।
647 161. अट्ठा हणंति अणट्ठा हणंति । 176. असंविभागी अचियत्ते ।
882 186. अहवा वि नाण दंसण चरित्त विणए ।
944 192. अण्णस्स दुक्खं अण्णो ।
956 193. अन्ने खलु कामभोगा ।
956 197. अपूर्णः पूर्णतामेति ।
991 209. चत्तारि पुरिस जाता-अट्ठ करे णाम ।
5 1026-1034 212. अट्ठकरे णाम मेगेणो माणकरे ।
5 1026-1034 256. अणेगा गुणा अहीणा भवंति ।
1260 315. अच्चेइ कालो।
1279 319. अज्जाई कम्माई करेहि ।
1280 325. अह पंचहि ठाणेहिं जेहिं ।
1306 326. अह अट्ठहिँ ठाणेहिं ।
1306 340. अलं बालस्स संगणं ।
1316 363. अवगणियं जो मुक्खसुहं ।
5 1363-1364 369. अप्पबंधो जयाणं.।
5 1380 ( अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-5 . 181
835
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