Book Title: Abhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 05
Author(s): Priyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
Publisher: Khubchandbhai Tribhovandas Vora
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रिका अङ्ग
198. जागर्ति ज्ञान दृष्टिश्चेत् । 354. जावइयाई दुक्खाई होंति ।
जि
79. जिब्भाए रसं गहणं वयंति । 415. जिणसासणस्स मूलं भिक्खायरिया ।
जी
2. जीर्णे भोजनमात्रेयः । 237. जीवाऽजीवे अयाणंतो । 356. जीव अप्पवहो ।
जे
9.
जे से पुरिसे देवि सन्नवेइ वि ।
61.
जे इंदियाणं विसयामणुन्ना ।
89. जेणऽण्णो ण विसज्झेज्जा ।
140. जे विण्ण वाहिऽज्झो सिया ।
174. जे केइ उ इमे पव्वइए । 270. जेण सुद्ध चरिएण भवइ । 324. जे यावि होइ निव्विज्जे । 433. जेणऽन्नो कुप्पेज्ज न तं वएज्जा ।
441. जे कम्हिचि न मुच्छिए स भिक्खू । 457. जेण सिया, तेण णो सिया ।
जो
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30. जो गुण दोस । 133. जो य पमत्तो पुरिसो, । 346. जो जत्थ होई कुसलो । 416. जो भिदेइ खुहं खलु । 421. जो भिक्खू गुण रहिओ ।
194. जंपिय इमं सरीए उरालं । 220. जं हिययं कलुसमयं ।
अभिधान राजेन्द्र कोष
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अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-5• 187
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