Book Title: Abhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 05
Author(s): Priyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
Publisher: Khubchandbhai Tribhovandas Vora
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आमधान राजन्न काम
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सत
सूक्ति का अंश 413. वएज्ज बुद्धे हियमाणुलोमियं ।
वि 17. विणया हीआ विज्जा । 55. विवित्तवासो मुणिणं पसत्थो ।। 175. विवायं च उदीरेइ । 245. वित्त सोयरिया चेव । 289. विभूसं परिवज्जेज्जा । 292. विसं तालउडंजहा। 362. विस्ससणिज्जो माया व होइ । 367. विविहाऽऽहि वाहि गेहं । 378. विषं विषस्य वह्वेश्च ।
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5. वेयण वेयावच्चे। 244. वेरं वड्ढेति अप्पणो। 268. वेर विरमण पज्जवसाणं ।
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418. वंतं नो पडिया वियति जे ।
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227. व्रतस्थालिङ्गिनः पात्र । 251. व्रतानां ब्रह्मचर्यं हि ।
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6. सज्झायं तु तओ कुज्जा । 21. सव्वस्स जीवरासिस्स । 22. सव्वस्स समण संघस्स ।
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26. सद्देसु य रुवेसु य, गंधेसु । 34. समाहिकामे समणे तवस्सी । 67. सद्दाणुवाएण परिग्गहेण । 68. सद्दाणुणागा साणुगए य जीवे ।।
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अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-5 • 198
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