Book Title: Abhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 05
Author(s): Priyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
Publisher: Khubchandbhai Tribhovandas Vora

View full book text
Previous | Next

Page 206
________________ आमधान राजन्न काम ui 1549 367 486 सत सूक्ति का अंश 413. वएज्ज बुद्धे हियमाणुलोमियं । वि 17. विणया हीआ विज्जा । 55. विवित्तवासो मुणिणं पसत्थो ।। 175. विवायं च उदीरेइ । 245. वित्त सोयरिया चेव । 289. विभूसं परिवज्जेज्जा । 292. विसं तालउडंजहा। 362. विस्ससणिज्जो माया व होइ । 367. विविहाऽऽहि वाहि गेहं । 378. विषं विषस्य वह्वेश्च । 882 1192 u i ui ui ui ui ui ui ui ui 1270 1270 1363 1368 1480 5. वेयण वेयावच्चे। 244. वेरं वड्ढेति अप्पणो। 268. वेर विरमण पज्जवसाणं । u i ui ui 1191 1261 418. वंतं नो पडिया वियति जे । ui 1565 227. व्रतस्थालिङ्गिनः पात्र । 251. व्रतानां ब्रह्मचर्यं हि । ui ui 1076 1259 10 6. सज्झायं तु तओ कुज्जा । 21. सव्वस्स जीवरासिस्स । 22. सव्वस्स समण संघस्स । ui ui ui 26. सद्देसु य रुवेसु य, गंधेसु । 34. समाहिकामे समणे तवस्सी । 67. सद्दाणुवाएण परिग्गहेण । 68. सद्दाणुणागा साणुगए य जीवे ।। ui ui ui ui 317 317 1358 381 483 490 490 अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-5 • 198

Loading...

Page Navigation
1 ... 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266