Book Title: Abhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 05
Author(s): Priyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
Publisher: Khubchandbhai Tribhovandas Vora

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Page 222
________________ कमाङ्क सूक्ति नम्बर 332 235 236 सूक्ति शीर्षक बहुश्रुत, अजेय बहुश्रुत, तपोज्ज्वल बहुश्रुत, सुधाकर बहुश्रुतता मुक्तिदायिनी बहुश्रुत, सर्वश्रेष्ठ बहुश्रुत, रत्नाकर बहुश्रुत, मन्दराचल 333 334 335 337 338 237 238 239 240 339 बा 241 86 103 242 243 बाल, अशरणभूत बाह्य निर्ग्रन्थता वृथा बाल-संग 340 244 410 399 245 246 बोले, बीच में नहीं बोल तराजू तोल बोलो, हंसते हुए नहीं ! 401 बं 247 127 बंध-मोक्ष स्वयं के भीतर बंधन से मोक्ष की ओर 248 242 249 250 251 252 253 254 51 247 248 252 253 256 258 259 261 263 255 256 ब्रह्मचर्यरत ब्रह्मचारी-निवास ब्रह्मचर्य, मूल ब्रह्मचर्यनाशः सर्वनाश ब्रह्मचर्य प्रधान ब्रह्मचर्य बिन सब व्यर्थ ब्रह्मचर्य-फल ब्रह्मचर्यः व्रतसम्राट ब्रह्मचर्य, भगवान् ब्रह्मचर्यः महातीर्थ ब्रह्मचर्यः अद्वितीय गुणनायक ब्रह्मचर्यः मुक्तिद्वार ब्रह्मचर्य श्रेयस्कर 257 258 259 264 260 261 265 262 267 ब्रह्मचर्य अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-5 • 214

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