Book Title: Abhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 05
Author(s): Priyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
Publisher: Khubchandbhai Tribhovandas Vora

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Page 205
________________ 98060658399368558 का अंश अभिधान राजन्द्रकाप भाग पृष्ठ 303633 556 105. यस्त्यक्त्वा तृणवद् बाह्य । 188. यस्य बुद्धि न लिप्येत । 377. यस्य गम्भीरमध्यस्या । 953 1479 यो 936 184. यो दद्यात् काञ्चनं मेरूं । 469. यो हि मितं भुङ्क्ते स बहुं भुङ्क्ते । 1611 344. य: क्रियावान् स पण्डितः । 1329 u uuu uuu uu uuu 39. रसापगामं न निसेवियव्वा । . 78. रसेसु जोगेहिमुवेइ तिव्वं । 484 491 104 15. राग-द्वेषौ यदि स्यातां ? 45. रागो य दासो विय कम्मबीयं । 58. रागस्सहेउं समणुनमाहु । 484 487 59. रूवेसु जो गेहिमुवेइ तिव्वं ।। 62. रूवे अत्तित्ते य परिग्गहम्मि । 5 5 487 488-489 848 166. रेचकः स्याद् बहिवृत्ति । लो 49. लोहो हओ जस्स न किंचणाई । 64. लोभाविले आयंयई अदत्तं । 91. लोभकलिकसायमहक्खंधो । 5 5 5 484 489 553 1279 312. वण्णं जरा हरइ नरस्स रायं । 328. वसे गुरुकले निच्चं । 1307 अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-5• 197

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