Book Title: Abhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 05
Author(s): Priyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
Publisher: Khubchandbhai Tribhovandas Vora
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सति का अंश 119. मणुन्नाऽमणुन्न सुब्भि दुब्भि । 141. मरणं हेच्च वयंति पंडिता । 217. महुकुंभे नाम एगे महुप्पिहाणे । 241. ममाती लुप्पती बाले । 321. मणंपि न पओसए। 376. मयूरी ज्ञानदृष्टिश्चेत् । 422. मणवयकाय सुसंवुडे जे ।
मा 11. माणं तुमं पएसी ! पुवि रमणिज्जे । 63. मायमुसं वड्ढइ लोभदोसा । 146. मा पच्छ असाहुया भवे । 313. माकासी कम्माणि महालयाणि । 380. माई अवणवाई। 388. मायं च वज्जए सया ।
मि 409. मिअं अदुटुं अणुवीई भासए ।
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387. मुसं परिहरे भिक्खू ।
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92. मूर्छ परिग्रहः । 106. मूर्छाच्छन्नधियां सर्वं । 109. मूर्च्छया रहितानां तु ।। 452. मूलाउ खंधप्पभओ दुमस्स ।
मो 47. मोहो हओ जस्स न होइ तण्हा । 66. मोसस्स पच्छा य पुरत्थओ य । 94. मोक्ख वरमोतिमग्गस्स । 158. मोहरिते सच्च वयणस्स पलिमंथू ।
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अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-5• 196
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