Book Title: Abhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 05
Author(s): Priyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
Publisher: Khubchandbhai Tribhovandas Vora
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सक्ति का अश 221. जं हिययं कलुसमयं । 238. जं छेयं तं समायरे । 348. जं जं मणेण बद्धं । 355. जं किंचि सुह मुयारं ।
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117. ण सक्काण सोउं सदा । 120. ण सक्का रूवमदटुं । 122. ण सक्का रसमणासातुं । 148. ण विता अहमेबलुप्पए । 279. ण दप्पणं न बहुसो । 443. ण भातियव्वं भयस्स वा ।
णा 33. णाणस्स सव्वस्स पगासणाए। 275. णाति भत्तपाणभोयणभोई से णिग्गंथे ।
णि 272. णियम तव गुण - विनय मादिएहि ।
णो 121. णो सक्का ण गंधमग्घाउं । 123. णो सक्काण फासं संवेदेतु । 286. णो निग्गंथे अइमायाए ।
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37. तस्सेस मग्गो गुरुविद्धसेवा ।
483 38. तस्सेस मग्गो गुरुविद्ध सेवा विवज्जणा ।
483 48. तहा हया जस्स न होइ लोहो ।
5 484 76. तण्हाभिभूयस्स अदत्तहारिणो । 153. तत्थ मंदा विसयंति । 183. तवं कुब्वइ मेहावी ।
5 931 213. तमे नाम मेगे जोती।
1028 233. तहेव फरुसा भासा । .
1143 (( अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-5 • 188
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