Book Title: Abhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 05
Author(s): Priyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
Publisher: Khubchandbhai Tribhovandas Vora

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Page 194
________________ सक्ति का अंश माग छ । चा 5 928 181. चारितंमि असंतंमि निव्वाणं ।। चि 103. चित्तेऽन्तर्ग्रन्थगहने । 240. चित्तमंतमचित्तं वा । 370. चिते परिणतं यस्य । ui ui 556 1191 1381 u 39-40 382 382 493 485 486 1259 1259 1278 1308 10. जत्थेव धम्मायरियं पासिज्जा । 27. जस्स खलु दुप्पणिहिया । 28. जस्स वि य दुप्पणिहिआ । 35. जहा य अंडप्पभवा बलागा । 53. जहा दवग्गीपउरिंधणे वणे । 54. जहा य किंपागफला मणोरमा । 248. जम्मिय भग्गम्मि होइ सहसा । 253. जइ ठाणी, जइ मोणी जइ मुंडी । 309. जहेह सीहोव मियं गहाय मच्चू । 332. जहाऽऽइण्ण समारूढे । 333. जहा से तिमिर विद्धं से । 334. जहा से उडुवई चंदे । 337. जहा सा नईण पवरा । 338. जहा से सयंभुरमणे । 339. जहा से नागाण पवरे । 353. जह ते न पियं दुक्खं । 358. जह मक्कडओ खणमवि । 391. जत्थ संका भवे तं तु । 392. जमटुं तु न जाणेज्जा । 393. जहारिहमभिगिज्झ । ui ui ui ui ui ui ui ui ui uiuiuui ui ui uiuuu 1309 1309 1310 1310 1310 1362 1362 1544 1544 1545 134. जा जयमाणस्स भवे । 5 613 u अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-5 • 186

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