Book Title: Abhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 05
Author(s): Priyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
Publisher: Khubchandbhai Tribhovandas Vora
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१. कुछ व्यक्ति सेवा आदि महत्त्वपूर्ण कार्य करते हैं, किंतु उसका अभिमान नहीं करते।
२. कुछ व्यक्ति अभिमान करते हैं, किन्तु कार्य नहीं करते । ३. कुछ व्यक्ति कार्य भी करते हैं, और अभिमान भी करते हैं।
४. और कुछ व्यक्ति न कार्य करते हैं, न अभिमान ही करते हैं। 210. धर्म और वेष
चत्तारि पुरिस जाया-पन्नता । तं जहारूव नाममेगे जहइ नो धम्म, धम्मं नामेगे जहइ नो स्वं, एगे रूवंपि जहइ धम्मं पि जहइ, एगे नो रूवं जहइ नो धम्मं जहइ ।
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 5 पृ. 1026]
- स्थानांग 109043 चार तरह के पुरुष होते हैंकुछ व्यक्ति वेष छोड़ देते हैं, किन्तु धर्म नहीं छोड़ते। कुछ धर्म छोड़ देते हैं, किन्तु वेष नहीं छोड़ते । कुछ वेष भी छोड़ देते हैं और धर्म भी छोड़ देते हैं।
और कुछ ऐसे भी होते हैं जो न वेष छोड़ते और न धर्म । 211. फलवद् आचार्य
चत्तारि फला पणत्ता । तं जहाआमलगमहुरे, मुद्दिता महुरे, खीर महुरे, खण्ड महुरे । एवामेव चत्तारि आयरिया पन्नता । तं जहा-आमलगमहुरफल समाणे,
मुद्दिया महुरफल समाणे, खीर महुरफल समाणे, खंड महुरफल समाणे।
अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-5 • 113