Book Title: Abhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 01
Author(s): Priyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
Publisher: Khubchandbhai Tribhovandas Vora
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24. रोग का मूल
अजीर्ण प्रभवा रोगाः ।
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 1 पृ. 203] - धर्मसंग्रह 1 अधिकार पृ. 8
. एवं धर्मबिन्दु सटीक - 33 सारे रोग अजीर्ण से पैदा होते हैं। 25 अजीर्ण-प्रकार
तत्राजीर्णं चतुर्विधःआमं विदग्धं विष्टब्धं, रसशेषं तथा परम् ।
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 1 पृ. 203]
- धर्मबिन्दु सटीक-33 अजीर्ण चार प्रकार का है - आम, विदग्ध, विष्टब्ध और रसशेष । चतुर्विध अजीर्ण-व्याख्या
आमे तु द्रवगन्धित्वं, विदग्धे धूमगन्धिता । विष्टब्धे गात्रभङ्गोऽत्र रसशेषे तु जाड्यता ॥
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 1 पृ. 203]
- धर्मबिन्दु सटीक-34 १ आम = अजीर्ण में नरमदस्त तथा छाश आदि की दुर्गन्ध - द्रवगन्धी होती है । २. विदग्ध = अजीर्ण में खराब धूए जैसी दुर्गन्ध आती है । ३. विष्टब्ध = अजीर्ण में शरीर टूटता है, शरीर में पीड़ा होती है तथा अवयव ढीले पड़ जाते हैं और ४. रसशेष = अजीर्ण में जड़ता-शिथिलता व आलस आता है। 27. अजीर्ण-लक्षण
मलवातयोर्विगन्धो, विड्भेदो गात्रगौरवमरूच्यम् । अविशुद्धश्चोद्गारः, षड जीर्ण व्यक्त लिङ्गानि ॥
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 1 पृ. 203] - धर्मबिन्दु सटीक-35
अभिधान राजेन्द्र कीष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-1/61