Book Title: Abhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 01
Author(s): Priyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
Publisher: Khubchandbhai Tribhovandas Vora

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Page 145
________________ 000000000000000000 _ अभिधान राजेन्द्र कोष सूक्ति भाग पृष्ठ 72. निरासवे संख वियाण कम्मं, उवेइ ठाणं विउलुत्तमं धुवं। 327 149. निसंगत्तेणं जीवे एगे, एगग्ग चित्ते । 1 594 193. निक्खेवे अवहरंति, परस्स अत्थम्मि गढियगिद्धा। 1 778 528 125. परदव्वहशणरा णिरनुकंपा। 183. पद्मावती च समुवाच विना वधूटी, शोभा न काचन नरस्य भवत्यवश्यम्। नो केवलस्य पुरुषस्य करोति कोऽपि, विश्वासमेव विट एव भवेदभार्यः ।।। पि 216. पितुर्मातुः स्वसुर्भातु - स्तनयानां च पश्यताम् । अत्राणो नीयते जन्तुः कर्मभिर्यमसद्मनि ॥ 1 709 1 844 79. पुरिसोरमपाव कम्मुणा, पलियंतं मणुयाण जीवियं । 1 197. पुरुष एवेदं सर्वं यद् भूतं यच्च भाव्यम्। 332 780 225. प्रमत्त योगात् प्राणव्यपरोपणं हिंसा । 1 872 46. फासुयम्मि अणाबाहे, इत्थीहिं अणभिदुए। तत्थ संकप्पए वासं, भिक्खू परम संजए ।। 1 280 55. भव कोडी संचियं कम्मं, तवसानिज्जरिज्जई। 1। 321 2200 भा 96. भागे सिंहो नरो भागे, योऽर्थो भाग द्वयात्मकः । तम भागं विभागेन, नरसिंह: प्रचक्षते ।। भि 49. भिक्खावित्ती सुहावहा। 425 281 अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-1/137

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