Book Title: Abhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 01
Author(s): Priyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
Publisher: Khubchandbhai Tribhovandas Vora
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सूक्ति
नम्बर
सूक्ति
129. सया अप्पमाण भोती सततं अणुबद्धवेरेय तिव्वरोसी, सेरिस नाहए वयमिणं ।
177. सर्वे वेदा न तत्कुर्युः सर्वे यज्ञा यथोदिताः । सर्वे तीर्थाभिषेकाश्च, यत्कुर्यात् प्राणिनां दया ।। 228. सत्यं शौचं तपः शौचं, शौचमिन्द्रियसंग्रहः सर्वभूत दया शौचं, जलशौचं च पञ्चमम्
233. सव्वे पाणा ण हीलियव्वा न निंदियव्वा ।
243. सव्वे अक्कंत दुक्खाय, अतो सव्वे अहिंसिया ।
सा
42.
सारद सलिल इव सुद्धहियया विहग इव विप्पमुक्का
232. सव्व जग जीव रक्खणदयट्टयाए पावयणं भगवया सुकहियं ।
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वसुंधरा इव सव्व फास विसहा ।
135. साहम्मिए विणओ पउंजियव्वो ।
अभिधान राजेन्द्र कोष
भाग
पृष्ठ
सी
61. सीयन्ति एगे बहु कायरा नरा ।
सु
50. सुक्कज्झाणं झियाएज्जा, अनियाणे अकिंचणे ।
वोसट्टकाए विहरेज्जा, जाव कालस्स पज्जओ ||
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137. सामन्नमणु चरंत - स्स कसाया जस्स उक्कडा होंति ।
मन्नामि उच्छु पुष्पं च निफ्फलं तस्स सामन्नं ॥
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152. सुस्सूसए आयरिएऽ प्पमत्तो ।
161. सुयाता धम्माणं ओगिण्णताते उवधारणयाते अब्भुतव्वं भवति ।
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अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-1/141
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