Book Title: Abhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 01
Author(s): Priyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
Publisher: Khubchandbhai Tribhovandas Vora
View full book text
________________
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 1 पृ. 873]
- प्रश्न व्याकरण 2/6/22 यह भगवती अहिंसा भयभीतों का शरण है । पक्षियों को जैसे गगन, तृषितों को जैसे जल, बुभुक्षितों को जैसे भोजन, समुद्र के मध्य में जैसे यात्रियों को जलयान, रोगियों को जैसे औषध का बल और अटवी में जैसे सार्थवाह का साथ महत्त्वपूर्ण है, भगवती अहिंसा का महत्त्व इससे भी बहुत अधिक है। 230. अपण्डित कौन ?
वाहत्तारिकलाकुसला, पंडिय पुरिसा अपंडिया चेव । सव्वकलाणं पवरं, जे धम्मकला न जाणंति ॥
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 1 पृ. 873]
- प्रश्न व्याकरण सटीक 1 संवर द्वार । बहत्तर कलाओं में कुशल पण्डित पुरुष यदि सभी कलाओं में श्रेष्ठ 'धर्मकला'को नहीं जानता है, तो वह अपण्डित ही है । 231. थोथा शास्त्र
किं तीए पढ़ियाए पय कोड़िए पलाल भूयाए । जत्थेत्तियं ण नायं, परस्स पीडा न कायव्वा ॥
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 1 पृ. 873] - सूत्रकृतांग 1 श्रुत. 11 अ.
- प्रश्न व्याकरण सटीक 1 संवर द्वार जब तक दूसरों के दु:ख को दूर नहीं किया जाय तब तक निरर्थक पुआल तुल्य उन करोड़ों पदों-शास्त्रों को पढ़ लेने से क्या ? 232. जिनवाणी - ध्येय - सव्व जग जीव रक्खणदयट्ठयाए पावयणं भगवया सुकहियं।
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 1 पृ. 874]
- प्रश्न व्याकरण 2/6/22 भगवान् ने समस्त प्राणी जगत् की रक्षा रूप दया के निमित्त प्रवचन दिये हैं।
अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-1/117