Book Title: Abhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 01
Author(s): Priyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
Publisher: Khubchandbhai Tribhovandas Vora
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नम्बर
अभिधान राजेन्द्र कोष सूक्ति
भाग पृष्ठ 123. अदिण्णादाणं हर दह मरण भय कलुसतासण पर
संतिकभेज्ज लोभमूलं । 124. अदत्तादाणं..............अकित्तिकरणं
अणज्जं..............सदा साहु गरहणिज्ज। 1 126. अच्चंत विपुल दुक्खसय संपलिता परस्सदव्वेहिजे अविरया।
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127. अणणुण्ण विय पाण भोयण भोई........से णिग्गंथे
अदिण्णं भुंजेज्जा। 128. अणुन्न वियगेण्हियव्वं । 130. असंविभागी, असंगहरूती........अप्पमाण
भोई........सेतारिसए नाराहए वयमिणं । 131. अपरिग्गह संवुडेणं लोगम्मि विहरियव्वं। 1 138. अढे परिहायती बहू, अहिगरणं न करेज्ज पंडिए। 1 140, अवच्छलत्ते य दंसण हाणी।
1 141. अकसायं खु चरित्तं ।
___1 145. अकसायं निव्वाणं। 148. असज्जमाणे अप्पडिबद्धेयावि विहरइ । 150. अप्पडिबद्धयाएणं, निस्संगत्तं जणयइ । 151. अप्पमत्ते समाहित झाती।
1 153. अकुसलमण निरोहो, कुसलमण उदीरणं वा। 1
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154. अप्पमत्ते जए निच्चं। 155. अप्पमत्ते सया परिक्कमेज्जासि । 156. अणण्ण परमं णाणी णो पमादे कयाइ वि। 159. असुताणं धम्माणं सम्म सुणणताते
अब्भुद्वैतव्वं भवति। 160. अलं कुसलस्स पमादेन। 162. असंगिहीत परितणस्स संगिण्हणताते
अब्भुट्टेयव्वं भवति।
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अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-1/127
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