Book Title: Abhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 01
Author(s): Priyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
Publisher: Khubchandbhai Tribhovandas Vora

View full book text
Previous | Next

Page 136
________________ सूक्ति 608 675 691 772 अभिधान राजेन्द्र कोष नम्बर भाग पृष्ठ 164. अनीद्दशस्य च यथा न भोगसुखमुत्तमम् । अशान्तादेस्तथा शुद्धं नानुष्ठानं कदाचन ।। 166. अबंभं........जरामरण रोग सोग बहुलं । 167. अबंभं च....तव संजम बंभचेर विग्धं भेयायतण बहु पमादमूलं। • 1 . 675 173. अभ्यासेन क्रियाः सर्वाः, अभ्यासात् सकला: कलाः । अभ्यासाद् ध्यान मौनादि. किमभ्यासस्य दुष्करम् ।। 1 184. अरइं आउट्टे से मेधावी। 753 187. अज्जेवाहं न लब्भामि, अविलाभो सुए सिया। जो एवं पडि संचिक्खे, अलाभो तं न तज्जए॥ 1 772 188. अलाभो मे परमं तपः । 190. अलिअं न भासि अव्वं, अत्थि हु सच्चं पिजं न वत्तव्वं ।। सच्चं पि तं न सच्चं, जं पर पीडाकरं वयणं। 1 773 192. अलियंणियडिसाति जोयबहलं नीयजण निसेवियं ।। निस्संसं अपच्चयकारकं। 1 777-784 198. अलिया हिंसंति संनिविट्ठा असंत गुणुदीरकाय संतगुण नासकाय। . 1 781 199. अलिय वयणं........अयसकरं वेरकरगं........मण संकिलेस वियरणं । 1 784 202. अपाय बहुलं पापं, ये परित्यज्य संसृताः । तपोवनं महासत्त्वा - स्ते धन्यास्ते मनस्विनः ।। 1 204. अह चोद्दसहिं ठाणेहिं वट्टमाणे उ संजए। अविणीए वुच्चई सोउनिव्वाणं च गच्छई ।। 205. असंविभागी अचियत्ते अविणीए त्ति वुच्चई। 1 206. असंखयं जीविय मा पमायए। 220. अशाश्वतानि स्थानानि सर्वाणिदिवि चेह च। देवसरमनष्याणामद्धयश्च सुखानि च ॥ 1 845 226. अहिंसा जा सा सदेव मणुया सुरस्स लोगस्स भवति दीवो ताणं सरणं गती पइट्ठा। 803 806 806 819 872 अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-1/128

Loading...

Page Navigation
1 ... 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202