Book Title: Abhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 01
Author(s): Priyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
Publisher: Khubchandbhai Tribhovandas Vora

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Page 142
________________ सूक्ति नम्बर अभिधान राजेन्द्र कोष भाग पृष्ठ सूक्ति 1 87. जो उत्तमेहिं पहओ, मग्गो सो दुग्गमो न सेसाणं । 101. जो सियवायं भासति, पमाण नय पेसलं गुणाधारं । भावेइ सेण णसेयं, सो हि पमाणं पवयणस्स || 102. जो सियवायं निंदति, पमाण नय पेसल गुणाधारं । भावेण दुट्टभावो, न सो पमाण पवयणस्स ॥ 1 1 249. जो उवसमइ तस्स अस्थि आराहणा । जो न उवसमइ तस्स नत्थि आराहणा || जं 5. जं इच्छसि अप्पणतो, जंवण इच्छसि अप्पणतो । तं इच्छं परस्स वियं, इत्तियगं जिण सासणयं ॥ 143. जं अज्जियं चरित्तं, देसूणाए वि पुव्व कोडीए । तं पिय कसायमित्तो, नासेइ नरो मुहुत्तेणं ॥ 1 172. जं अब्भासइ जीवो, गुणं च दोसं च एत्थ जम्मम्मि । तं पावइ परलोए, तेण य अब्भास जोएण ।। 1 99. 1 1 ण हु सासण भत्ती मे - तएण सिद्धन्त जाणओ होइ । 1 ण वि जाणओ विणियमा, पणवणा निच्छिओ णाम ।। 1 234. णवि मित्त- पत्थण- सेवणाते भिक्खं गवे सियव्वं । 235. णवि हिलणाते णवि णिदणाते भिक्ख गवेसियव्वं । 1 236. णवि वंदण - माणणं - पूयणाते भिक्खं गवेसियव्वं । 1 णी 54. णीवारे य न लीएज्जा, छिन्न सोते अणाइले । त 1 136. तवो वि धम्मो । 1 1 146. तमतिमिर पडल भूतो पावं चिंतेइ दीह संसारी । 224. तत्थ पढमं अहिंसा, तस थावर सव्व भूय खेमकरी । 1 - ता 78. ताले जह बंधणच्चुते, एवं आउक्खयम्मि तुट्टती । 1 अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-1/134 353 441 441 884 87 575 691 440 874 874 874 306 545 581 872 332

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