Book Title: Abhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 01
Author(s): Priyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
Publisher: Khubchandbhai Tribhovandas Vora

View full book text
Previous | Next

Page 138
________________ 1968966580888560 सूक्ति सूक्ति अभिधान राजेन्द्र कोष | नम्बर भाग पृष्ठ 100. इच्चेय गणि पिडगं, निच्चं दव्वट्ठियाए नायव्वं । पज्जाएण अणिच्चं, निच्चानिच्चं च सियवादो ॥ 1 441 76. इत्यनित्यं जगद्वृत्तं, स्थिर चित्तः प्रतिक्षणम् ।। तृष्णा कृष्णाहिमन्त्राय निर्ममत्वाय चिन्तयेत् ॥ 1 332 169. इहलोए वि ताव नट्ठा, पर लोए वि नट्ठा। 1 679 200. इमाई छ अवतणाइं। तंजहा - अलिय वयणे, __हीलिय वयणे, खिसित वयणे, फरुस वयणे, गारत्थिय वयणे, विउ सवितं वा पुणो उदीरित्तते। 1 795 215. इन्द्रोपेन्द्रादयोऽप्येते, यन्मृत्योर्यान्ति गोचरम् । अहो तदन्तकातङ्के, कःशरण्य शरीरिणाम् ।। 1 844 69. उद्देसियं कीयगडं नियागं, त मुंचई किंचि अणेसणिज्जं। अग्गिविवा सव्वभक्खी भवित्ताइओ चुए गच्छइ कटु पावं ।। 1 327 168. उवणमंति मरण धम्म अवितत्ता कामाणं। 1 677-679 678 248. उवसमसारं (खु) सामण्णं ।। 884 7. एकं हि चक्षुरमलं सहजो विवेकः, तद्वद्भि रेव सह संवसति द्वितीयम् । एतद् द्वयं भुवि न यस्य तत्त्वतोऽन्धर, तस्यापमार्ग चलने खलु को ऽ पराधः ।। 105 493 544 110. एवं तक्काए साहेंता धम्माऽधम्मे अकोविया । दुक्खं ते नाइ तुटंति, सउणी पंजरं जहा॥ 133. एगे चरेज्ज धम्मं । 178. एकतः क्रतवः सर्वे, समग्रवर दक्षिणा । एक तो भयभीतस्य, प्राणिनः प्राणरक्षणम् ॥ 1 196. एक एव हि भूतात्मा, भूते भूते व्यवस्थितः। ___एकधा बहुधा चैव, दृश्यते जल चन्द्रवत् ।। 1 अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-1/130 706 780

Loading...

Page Navigation
1 ... 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202