Book Title: Abhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 01
Author(s): Priyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
Publisher: Khubchandbhai Tribhovandas Vora

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Page 134
________________ सूक्ति 219 246 332 392 421 सूक्ति अभिधान राजेन्द्र कोष नम्बर भाग पृष्ठ 24. अजीर्ण प्रभवा रोगाः। 203 29. अजीर्णे भोजने वारि, जीणे वारि बलप्रदम्। 1 203 30. अज्जवयाएणं काउज्जुययं भासुज्जुययं अविसंवायणं जणयइ। 1 31. अवि संवायणं संपन्नयाएणं जीवे । धम्मस्स आराहए भवइ ।। 1 219 37. अहिंसा सत्य मस्तेयं, ब्रह्मचर्यमसङ्गता। गुरुभक्ति स्तपोज्ञानं, सत्पुष्पाणि प्रचक्षते ।। 1 82. अणुसासण मेवपक्कमे । 90. अतीन्द्रियं परं ब्रह्म, विशुद्धानुभवं विना। शास्त्र युक्ति शतेनापि, नगम्यं यद् बुधा जगुः ॥ 1 93. अणुसासणं पुढो पाणे। 104. अज्ञानं खलु कष्टम् । 488 103. अज्ञानं खलु कष्टं, क्रोधादिभ्योऽपि सर्वपापेभ्यः । अर्थं हितमहितं वा न वेत्ति येनावृत्तो लोकः ॥ 1 107. असंकि याइं संकंति, संकियाइं असंकिणो। 1 109. अप्पणो य परं णालं कुतो अण्णेऽणु सासिउं? 1 114. अच्छेद्योऽयमदाह्योऽय-म मविकार्योऽयमुच्यते । नित्यः सर्वगतः स्थाणुरचलोऽयं सनातनः ।। 1 502 6 115. अर्थानामर्जने दुःखमर्जितानां च रक्षणे । आये दुःखं व्यये दुःखं, धिगर्थं दुःखकारणम् ।। ___(पाठान्तरम् - धिगर्थोऽनर्थ भाजनम् ।।) 1 506-803 119. अत्थित्तं अत्थित्ते परिणमइ नत्थित्तं नत्थित्ते परिणमइ। 120. अथिरे पलोट्टति, नो थिरे पलोट्टति; अथिरे भज्जति, नो थिरे भज्जति ।। 122. अदक्खुवं दक्खुवाहितं सद्दहसु । 1 525 747 518 518 अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-1/126

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