Book Title: Abhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 01
Author(s): Priyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
Publisher: Khubchandbhai Tribhovandas Vora
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किसी भी स और स्थावर प्राणी की हिंसा नहीं करनी चाहिए । जो सभी प्राणियों को अपनी आत्मा के समान देखता है, वस्तुत: वही धार्मिक है।
246. धर्म का अङ्ग
अहिंसा परमं धर्माङ्गम् ।
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उत्कृष्ट
अहिंसा 247. सत्य - संरक्षा क्यों ?
श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [ भाग 1 पृ. 879 ] सूत्रकृतांग सटीक 2/2
धर्म का अङ्ग है ।
अहिंसैव मता मुख्या स्वर्ग मोक्षप्रसाधिनी । अस्याः संरक्षणार्थं च न्याय्यं सत्याऽऽदिपालनम् । श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [ भाग 1 पृ. 882 ] एवं [भाग 4 पृ. 2457 ] हरिभद्रीय 16 अष्टक एवं धर्मरत्न प्रकरण 1 अधि० पृ. 14
स्वर्ग, मोक्षप्रसाधिनी अहिंसा ही मुख्य कही गई है और सत्यादि का पालन इसकी संरक्षा के लिए ही उचित है ।
248. उपशम
उवसमसारं (खु) सामण्णं ।
श्रमणत्व का सार है - उपशम ।
श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [ भाग 1 पृ. 884 ] बृहत्कल्प सूत्र 1/34
249. आराधक - विराधक
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जो उवसमइ तस्स अस्थि आराहणा ।
जो न उवसमइ तस्स नत्थि आराहणा ॥
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श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [ भाग 1 पृ. 884] बृहत्कल्पसूत्र 1 3. / 34
अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-1 /121