Book Title: Aavashyak Sutram Purv Bhag
Author(s): Bhadrabahuswami, Jindasgani Mahattar,
Publisher: Rushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha
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चूर्णी
श्री
11 भद्दस्स रणो एगे पुरिसे विउलकयवित्ती भगवतो पउत्तिवाउए तद्देवसियं पउत्ति निवेदेति, तस्सणं पुरिसस्स बहवे अण्णे पुरिसा ऋद्धयावश्यकाइदिण्णभतिभत्तवेतणा भगवतो पउत्तिवाउया भगवतो तद्देवासयं पउचिं निवेदिति । तेणं कालेणं तेणं समएणं दसण्णभद्दो राया |
JNI बाहिरियाए उवट्ठाणसालाए अणेगगणणायगदंडणायगराईसरतलवरमाडंपियकोडबियमंतिमहामंतिगणकदोवारियअमच्चचेढपीउपोद्घात हा नियुक्ती
ढमद्दनगरनियमसेट्ठिसेणावतिसत्थवाहदूतसंधिपाल सद्धिं संपरिबुडे विहरति ।
तेणं कालेण तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे आदिकरे तित्थकरे सहसंबुद्धे, पुरिसुत्तमे पुरिससीहे पुरिसवरपुंडरीए पुरिस॥४८०॥ वरगंधहत्थी, लोगुत्तमे लोगणाहे लोगप्पदीवे लोगप्पज्जोतकरे, अभयदए चक्खुदए मग्गदए जीवदए सरणदए(बोहिदए), धम्मदए || 18| धम्मदेसए धम्मनायगे धम्मसारही धम्मवरचाउरंतचक्कवट्टी, दीवो ताणं सरणं गती पइट्ठा अप्पडिहतवरनाणदंसणधरे वियदृछदुमे
अरहा जिणे केवली सव्वष्णू सव्वदरिसी सत्तुस्सेहे एवं जथा निक्खमणे जाव तरुणरविकिरणसरिसतिये अणासवे अममे अकिंचणे | छिण्णगंथे निरुवलेवे ववगतपेम्मरागदोसमोहे निग्गंथस्स पवयणस्स देसए णायए पतिट्ठावए समणगणपती समणगणवंदपरिवट्टए चोत्तीसवुद्धातीसेसपत्ते पणतीससच्चवयणातिसेसपत्ते आगासगएणं छत्तेणं आगासफलियामएणं सपादपीठेणं सीहासणेणं सेतवरचामराहिं उधुव्वमाणीहिं२ पुरतो धम्मज्झएणं पकढिज्जमाणेणं अणेगाहिं समणअज्जियासाहस्सीहिं सद्धिं संपरिवुडे पुवा
॥४८॥ णुपुचि चरमाणे गामाणुगाम दूइज्जमाणे सुहंसुहेण विहरमाणे दसण्णपुरस्स नगरस्स बहिता उवणगरग्गामं उवगते नगरं समोसरितुकामे । तते णं से पउत्ति० साहिँ कणगमिरिसंसिताहिं उप्पतिततुस्विचवलमणपवणजइणसिग्धवेगाहिं विणीताहिं हंसबहुगाहिं चेव कलितो णाणामणिकणगरतणमहरिहतवणिज्जुज्जलविचित्तदंडाहिं वत्तीयाहिं नरपतिसरिससमुदयप्पमासणगरीहिं महग्यवरपट्टणुग्ग
SINGERANASI
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