Book Title: Aavashyak Sutram Purv Bhag
Author(s): Bhadrabahuswami, Jindasgani Mahattar, 
Publisher: Rushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha

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Page 529
________________ 5 मायायां सर्वांग सुंदरी वि एवं चेवं चेव विण्णासितो. णवरं सा भणिता- किं बहुणा १, हत्थं रक्खेज्जसित्ति, सेसविभासा तहेव जाव एसोवि मे कसिणव्याख्यायां धवलपडिवज्जगोति । एत्थ पुण इमाए णियडिअभक्खाणदोसतो तिव्वं कम्ममुवणिबद्धं, पच्छा एतस्स अपडिकमितभावतो ॥५२७॥ पव्वइया, भातरोवि से सह जाताहिं पब्बइया, अहायुगं पालित्ता सुरलोगं गयाणि । तत्थवि ता अहातुगं पालित्ता भातरो से पढ में चुता साकेते णगरे असोगदत्तस्स इम्भस्स समुद्ददत्तसागरदत्ताभिधाणा पुत्ता जाता, इतरीवि चइतूण गयपुरे णगरे संखस्स इब्भसावगस्स धूता आयाता, अतीव सुंदरित्ति सव्वंगसुंदरित्ति से णामं कतं, इतरीओवि भातुज्जायाओ चविऊण कोसलाउरेणंदड्राणाभिधाणस्स इब्भस्स सिरिमतिकांतिमतिधूताओ आआताओ, जोव्वर्ण पत्ताणि, सव्वंगसुंदरी कहंचि साकेयाओ गतपुरमागतेणं असोगदत्तसेट्टिणा दिट्ठा, कस्सेसा कण्णगत्ति?, संखस्सत्ति सिट्टे सबहुमाणं समुद्ददत्तस्स मागिता, लद्धा विवाहो य कतो, कालंतरेण सो विसज्जायगो आयओ, उवयारो से कतो, वासहरं सज्जियं, एत्थंतरम्मि य सव्वंगसुंदरीए उदिन्नं तं णियडिवचणं पढम कम्म, तयो भत्तारेण से वासगिहाहिएण वोलेंती देवगी पुरिसच्छाया दिट्ठा, ततो णेण चिंतितं-दुवैसीला मे महिला, कोवि अवलोPएतूण गतोत्ति, पच्छा सा आगता, ण तेण बोल्लाविया, ततो अदुहट्टहियाए धरणीए चेव रतणी गंमिता, पमाते से भत्तारो | अणापुच्छिय सयणवग्गं एगस्स धिज्जातियस्स कहेता गतो साकेयं णगरं, परिणीता यऽणेण कोसलाउरे दस्स धूता सिरिम| तित्ति, भातुणा य भगिणी कंतिमती, सुतं च हिं, ततो गाढतममद्धिती जाता, विसेसतो तीसे, पच्छा ताणं गमागमसंववहारो वोच्छिण्णो, सा धम्मपरा जाता, पच्छा पव्वइया । कालेण विहरती पवित्तिणीए समं साकेतं गया, पुव्यभाउज्जाओ से उवसंइताओ, भत्तारा य तासिं ण सुटु, एत्थंतरम्भिय तीसे उदितं णियडिणिबंधणं वितियकम्म, पारणगे मिक्खटुं पविट्ठा, सिरिम C%5CS ॥५२७॥ 3ASIA

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