Book Title: Aavashyak Sutram Purv Bhag
Author(s): Bhadrabahuswami, Jindasgani Mahattar,
Publisher: Rushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha
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नमस्कार | विज्जातित्थयरो, सो त भाइणेज्ज ठवेत्ता पडिव्वायओवादे पराजितो,(सा परि०)अद्धीइए कालगतो, गुडसत्थे णगरे वडकरओ वाणम-13 विद्यासिद्धः व्याख्यायां है
तरो जातो, तेण तत्थ सव्वे साहुणो परद्धा, तं सुणेत्ता अज्जखउडा तहिं गता, तेण जातितुं तस्स कन्ने उवाहणाओ ओलतियाओ, ॥५४२॥
देवकुलिओ आगतो पेच्छति, गतो लोग घेत्तूण आगतो, ते जतो जतो उग्घाडेंति तओ २ अधिट्ठाण, णगरे कहितं, तेहिवि तहेव | दिटुं, कट्ठलट्ठीहिं पहता, ते य रायकुले संकमेंति, मुका, पविट्ठो वहुकरओ, अण्णाणि य वाणमंतराणि पच्छतो सपडिमाणि है गच्छंति, लोगो पायवडितो विण्णवेति-मुयाहित्ति, सो य अण्णतो विप्परिणामेति, सो चिंतति-आयरिओ ण सक्कति मोयावेतुति,
तस्स देवकुले महाविस्संदा दो दोणीओ महतिमहालियाओ पाहाणमतीओ, सो य वाणमंतराणि खडखडाताणि, पच्छओ सपडिमाणि हिंडंति, जणेण विण्णवितो, ताणि मुक्काणि, दोणीवि आरतो आणेत्ता छड्डिया, मम सरिसो णेहितित्ति, मुक्को । इतो य जत्थ भाइणेज्जो ठवितो सो आहारगिध्धो भरुअच्छे तच्चण्णिओ जातो, अयःपात्राणि आगासेणं उवासगाणं घरेसु
भरियाणि एंति, लोगो तंमुहो बहुगो जातो, संघेणं अज्जखतुडाणं पेसितं, आगतो, अक्खाय-एरिसी अकिरियत्ति उद्विता, तेसिं टकप्पराणं अग्गतो मत्तओ सेतण- वत्थेणं अच्छाइओ जाति, टोप्परिया गता सव्वपधाणिया, आसणे ठिया, अण्णत्थ कया, कयाइ
पुणो पुणो पंति भरिया आगता, आयरिएहिं अंतरा पाहाणो ठवितो सव्वाणि भिण्णाणि, सोवि चेल्लओ भीतो गट्ठो, आयरिया तत्थ गता, तच्चण्णिया भणंति-एहि बुद्धस्स पादेहि पडाहित्ति, आयरिएहिं भणित-एहि पुत्ता ! सुद्धोदणसुता वंद मर्म, बुद्धो णिग्गतो, पादेसु पडितो, तत्थ थूभो बारे, सोवि भणतितो-एहि पाएहिं पडाहित्ति, सोवि पडितो, उद्वेहित्ति भणितो अद्धोणओ |ठितो, एवं अच्छहत्ति भणितो ठितो, पासल्लिगो ठितो, सो णियंठणामितो णामेण संजातो॥ मंतसिद्धो एगमि नगरे रायाणएण
॥५४२॥
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