Book Title: Aavashyak Sutram Purv Bhag
Author(s): Bhadrabahuswami, Jindasgani Mahattar, 
Publisher: Rushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha

View full book text
Previous | Next

Page 568
________________ नमस्कार | एत्थवि ता मे होलं वाएहि ॥१॥ एवं णाऊणं रयणाई मग्गिऊणं गोट्ठागाराणि सालीणं भरियाणि रयणाई गद्दभियादीण पुच्छितो ४ परिणामिव्याख्यायां छिण्णाणि २ जायंति, आसा एगदिवसजाता मग्गिता, एगदिवसियं णवणीतं मग्गितं । एस परिणामिता चाणकस्स बुद्धी। थूलभद्दस्स सामिस्स परिणामिता, पितुमि मरिते कुमारो भण्णति-अमच्चो होहिति, सो असोगवणियाए चिंतेति केरिसा है ॥५६६॥ बुद्धिः | भोगा वाउलाणंति?, ताहे पव्वइतो, राया भणति-पेच्छह, मा कवडेणं गणियाघरं जाएज्जा, णितस्स सुणगमडगो वावण्णो, णासं न विकूणेति, पडिलेहेत्ता रण्णा भणित-विरत्तभोगोत्ति, सिरिओ ठाविओ। णासिक्कणगरं, णंदो वाणियओ, सुंदरी से भज्जा, सुंदरीणंदो से नामं जातं, तस्स भाता पुव्वपव्वइतो, सो सुणेति जथा है मातीए अज्झोववन्नो, पाहुणओ आगतो, पडिलाभितो, भाणं तेण गाहितं, एहि एत्थ विसज्जेहितित्ति उज्जाणे णीतो, सो भोगगिद्धो लणगरं जाहितित्ति अधिगतरेणं उपप्पलोभेमि, सो य वेउव्वियलद्धी, मक्कडिं दरिसेचा पुच्छति-का सुंदरित्ति?, सुंदरी, पच्छा विज्जाधरीए, तुल्ला, पच्छा देवीए, देवी अतिसुंदरत्ति, पुच्छितो भणति-कहं एसा लब्मतित्ति, धम्मेणत्ति पव्वइतो।साधुस्स पारिणामिका। वइरसामिस्स परिणामिया, माता णाणुवतिया, मा संघो अवमाणिहितित्ति, पुणो देवेहिं उज्जेणीए वेउव्वियलद्धी दिना, पाडलिपुत्ते मा परिभविहित्ति वेउब्वियं कयं, पुरियाए पवयणओभावणा मा होहितित्ति सव्वं कहियव्वं ॥ ॥५६६॥ चलणाहणणे, राया तरुणेहिं वुग्गाहिज्जति, जथा थेरा कुमारा य अवणिज्जतुत्ति, सो तेसिं मतिपरिक्खणणिमित्तं भणतिजो राय सीसे पाएण आहणति तस्स को दंडो ?, तरुणा भणीत-तिलतिल छिदियव्वओ, थेरा पुच्छिया, चिंतेमोत्ति ओसरिया, RSHASSA AREERSHRSHRSSIAS S REX

Loading...

Page Navigation
1 ... 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620