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रयउग्याय (रजउद्घात) सवासासामधूलका
सूत्रन पढे छा जाना
। १०० हाथ मनुष्य का । मनुष्य के हाड की अट्ठी (अस्थि) हाड मनुष्य तिर्यच का..
पच का ६०हाथ तिर्यंचका हाड होतो। अवधि १२ वर्षे । मस (मास) मास मनुष्य-तिर्यच का मनुष्य
मनुष्य का १०० हाथ | का तिर्यच का ६० हाथ ।
३ पहर नियंवर १०० हाथ २६० हाथ |
१३ पहर लोहीमण्या १३ | सोणिय (शोणित)
| सातघरों के अदर यदि
| ३ कन्या प्रसव ८
अहोरात्र पुन प्रसव का तथा प्रसव' का बीचमें रस्ता न पडता हो
७ अहोरान १४ अमुइसामन्त (अशुचि सामन्त) अशुचि जहा दीखे, गध आवे. | जब तक रहे। सुसाणसामन्त
चारों तरफ सौ सो । स्मशान (श्मशानसामन्त)
(१००) हाथ
सर्व काल , १६ | रायपडण (राजपतन) | राजाका अवसान | जहा तक उसका राज्य हो। नयाराजाबैठे तबतक
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१७ | रायवुग्गह, (राजविग्रह) | राजाओं की लडाई | उपनगर नगर के समीप
जब तक होवे
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२८
चदोवराग (चद्रोपराग) | चन्द्रमा का ग्रहण
सब जगहमें
४।८।१२ पहर
आवश्यकमूत्रस्य
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स्रोचराग (सूयॉपराग) | मूर्य का ग्रहण
सब जगहम
।४।८।१६ पहर