Book Title: Aap Kuch Bhi Kaho
Author(s): Hukamchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 9
________________ मुझे आपसे कुछ कहना है कथा - साहित्य साहित्य क्षेत्र की सर्वाधिक लोकप्रिय विधा है। सत्य और तथ्य को जन-जन तक पहुँचाने का इससे अधिक सशक्त माध्यम अभी तक कोई दूसरा विकसित नहीं हो सका है। यद्यपि उक्त तथ्य से मैं अपरिचित नहीं था; तथापि 'सत्य की खोज' की असाधारण लोकप्रियता ने मेरा ध्यान उक्त तथ्य की ओर विशेष आकर्षित किया; किन्तु चाहकर भी अतिव्यस्तता के कारण उसके बाद इस क्षेत्र में कुछ भी नहीं किया जा सका। अनेक उपक्रम आरम्भ करने के बाद भी अधूरे पड़े रहे । व्यस्तता भी कोई लौकिक नहीं रही; अपितु इस युग के समर्थ सत्यार्थदृष्टा, क्रान्तिकारी अध्यात्मिकसत्पुरुष पूज्य श्री कानजी स्वामी द्वारा प्रदत्त तत्त्वज्ञान को आत्मसात् करने एवं जन-जन तक पहुँचाने में ही संलग्न रहा हूँ । पूज्य गुरुदेव श्री कानजीस्वामी की अत्यन्त वृद्धावस्था एवं वर्तमान सामाजिक स्थिति के संदर्भ में तत्त्व की सुरक्षा के लिए मैं चाहता था कि उनके द्वारा उद्घाटित मूलभूत तथ्यों को, जिनवाणी के मर्म को, विवादस्थ विषयों को सुव्यवस्थित रूप से सरल - सुबोध भाषा एवं सुगम शैली में सप्रमाण लिपिबद्ध कर लिया जाय । वह लिपिबद्ध सामग्री एक बार उनकी निगाह से भी निकल जावे, जिससे भविष्य में विवाद के लिए कोई गुंजाइश न रहे । परिणामस्वरूप‘क्रमबद्धपर्याय' एवं 'जिनवरस्य नयचक्रम् ” जैसी क्रान्तिकारी कृतियों का जन्म हुआ, जिन्होंने पूज्य गुरुदेव श्री के मंगल आशीर्वाद के साथसाथ जनता-जनार्दन का भी भरपूर स्नेह प्राप्त किया । १. आज यह कृति परिवर्धित होकर परमभावप्रकाशक नयचक्र नाम से प्रकाशित है।

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