Book Title: Aap Kuch Bhi Kaho
Author(s): Hukamchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 112
________________ 104 [ आप कुछ भी कहो लिए जिस श्रद्धा व लगन के साथ जो अथक श्रम वे कर रहे हैं, वह अभिनन्दनीय है। ___ जैनदर्शन की मर्यादाओं का बड़ी ही सुन्दरता के साथ निर्वाह करते हुए इस कृति के माध्यम से जिस विश्वास के साथ कदम रखा है, वह जैनवाङ्मय के कथासाहित्य को नई विद्या के साथ समृद्ध करने में समर्थ होगा। इस दिशा में उनकी प्रथम रचना 'सत्य की खोज' बहुत ही लोकप्रिय सिद्ध हुई है। यह 'आप कुछ भी कहो' दूसरी कृति है। आरंभिक कथाओं की अपेक्षा अन्तिम चार कथाओं में कथाशैली की प्रतिभा विशेष निखरी है। इनमें घटनाओं का चित्रण, परिस्थितियों का वर्णन, भाषा की सरसता एवं सरलता, विचारों की सुबोधता, परिकल्पनाओं की सुसंबद्धता तथा संदेशात्मकता के दर्शन होते हैं। पौराणिक कहानियों में लेखक कथाकार से प्रवचनकार अधिक हो गया है, जो डॉ. भारिल्ल की सहज प्रकृति है। सब-कुछ मिलाकर यह कथासंग्रह पठनीय है।

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