Book Title: Aap Kuch Bhi Kaho
Author(s): Hukamchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 111
________________ अभिमत ] १०३ पुण्य-पाप, आत्मा सरीखे कठिन विषयों को भी रोचक व सरल शैली में निबद्ध करना डॉ. भारिल्ल की विशेषता है । 'चक्रवर्ती भी अभागा ' यह कहानी पढ़ते ही बनती है । कुल मिलाकर यह अनूठी कृति सबको पसन्द आवेगी और सबको कुछ मिलेगा भी इसके पढ़ने से। ऐसी रचना के लिए डॉ. भारिल्ल साधुवाद के पात्र हैं * डॉ. हरीन्द्रभूषण जैन; निदेशक, अनेकान्त शोधपीठ, बाहुबली ( महाराष्ट्र ) I कथा का एक प्रकार है - आधुनिक कथा; जिसमें भाषा, भाव, घटना, शैली आदि सभी में आधुनिकता होती है। कथा के उद्देश्य भी अनेक होते हैं – मनोरंजन, सामान्यज्ञान, तत्त्ववोध आदि। इन सभी दृष्टियों से विचार करें तो हम इसे 'आधुनिक तत्वकथा' कह सकते हैं । - यद्यपि कहानियों की कथावस्तु पौराणिक तथा ऐतिहासिक होने से परिचित जैसी है, तथापि प्रस्तुति का ढंग ऐसा सरस और औत्सुक्यपूर्ण है कि कथाएँ अत्यन्त रुचिकर बन गई हैं। कथाओं में यत्र-तत्र आधुनिक एवं नवीन उपमानों के प्रयोग दिखाई पड़ते हैं। जैसे- 'पेट्रोलियम पदार्थ में लगी आग के समान तूफानी गति से ' ( पृष्ठ ४४) आदि। इन कथाओं की यह एक अपनी विशेषता है। छोटी-छोटी सदुक्तियों के समावेश ने कथाओं में सौष्ठव एवं प्रभाव उत्पन्न कर दिया है । प्रथमानुयोग की कथाओं को आधुनिक शैली और भाषा में परिष्कार करके उपस्थित करने की जो आवश्यकता थी, प्रस्तुत पुस्तक उसकी ओर प्रथम चरण है । आगे भी स्वयं भारिल्लजी तथा अन्य लोग भी इस शैली पर जैनकथाएँ लिखकर जैनसाहित्य को समृद्ध करने का प्रयत्न करेंगे ऐसी आशा है । * श्री त्रिलोकचन्दजी जैन; भूतपूर्व स्वास्थ्य मंत्री, राजस्थान, जयपुर जैनदर्शन के प्रखर चिन्तक डॉ. भारिल्ल बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं । वे सुक्षुत प्रवचनकार एवं सिद्धहस्त लेखक के रूप में सुप्रसिद्ध हैं । सरल, सरस एवं सुबोध भाषा-शैली में जैनतत्वज्ञान को जन-जन तक पहुँचाने के

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