Book Title: Aap Kuch Bhi Kaho
Author(s): Hukamchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 77
________________ तिरिया-चरित्तर ]. . ६२ नारियों की शक्ल से ही परहेज करनेवाले पण्डितराज के कानों में जब सुकोमल नारीकण्ठ से निनादित प्रशंसावाचक मधुर शब्द पड़े तो उनके सरल हृदय को पिघलते देर न लगी। उसका अनुरोध स्वीकार कर, काफिले को वहीं रोक; नीचे गर्दन किए ईर्यासमितिपूर्वक गमन करती, निज मस्तक पर शीतल जलापूरित मंगलकलश धारण किए उस गजगामिनी के चरण-चिह्नों पर चलते हुए वे उसके घर जा पहुँचे। (३) शकुनशास्त्र के विशेषज्ञ पण्डितराज आज अपने भविष्य के प्रति अत्यन्त * आशावान हो रहे थे; क्योंकि शीतल जलापूरित मंगल घट लिए सुहागिन के दर्शन मात्र को जब परममंगल का सूचक माना गया है; तब उनके आगे तो ऐसी सुहागिन साक्षात् चल रही थी, उन्हें आमन्त्रित कर अपने घर ले जा रही थी। नारी-चरित्रों के अनेक कुत्सित एवं उज्ज्वल पक्षों के चतुर चितेरे पण्डितराज आज मन ही मन गद्गद हो रहे थे। उनके पाण्डित्य का जन-जन पर कैसा प्रभाव है - इसका आज उन्हें साक्षात् अनुभव हो रहा था। वे इन विचारों में इतने मग्न थे कि उन्हें पता ही न चला कि वे कब उसके घर पहुँच गये, कब उसने उन्हें उच्चासन पर बिठाया, कब उनकी आरती उतारी तथा कब उन्हें आराम करने का निर्देश देकर रसोई बनाने के काम में मग्न हो गई। ___ यहाँ पण्डितराज नारी-चरित्रों की गहराइयों में गोता लगा रहे थे, वहाँ वह नारी-चरित्र की विशेषज्ञ अपढ़ महिला मुख्य दरवाजे के किवाड़ बन्द कर निश्चिन्त हो अपने गृहकार्य में उलझ गई। (४) थोड़ा-बहुत गृहकार्य निपटाकर वह ध्यानस्थ पण्डितराज के पास आई एवं पंखा झलते हुए अत्यन्त विनम्र शब्दों में इसप्रकार बोली - "क्यों महाराज? यह सब शास्त्र आपने ही लिखे हैं या ..."

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