Book Title: Aap Kuch Bhi Kaho
Author(s): Hukamchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

View full book text
Previous | Next

Page 101
________________ अभिमत लोकप्रिय पत्र-पत्रिकाओं एवं विद्वानों की दृष्टि में प्रस्तुत प्रकाशन ९३ * आचार्य श्री शान्तिसागरजी महाराज डॉ. हुकमचन्द भारिल्ल द्वारा लिखित 'आप कुछ भी कहो' पुस्तक मैंने पूरी पढ़ी; बहुत सुन्दर है, इसमें कल्याणकारी मार्ग की ही बातें हैं । वे जीवनभर इसीप्रकार जिनवाणी की सेवा करते रहें - उन्हें हमारा यही मंगल आशीर्वाद है । * अध्यात्मयोगी मुनि श्री विजयसागरजी महाराज डॉ. हुकमचन्द भारिल्ल ने 'आप कुछ भी कहो' पुस्तक के द्वारा परमसत्य को जन-जन तक पहुँचाने का सफल प्रयास किया है, जिससे मुमुक्षु जीव लाभान्वित होकर सन्मार्ग प्राप्त करेंगे। वे आगे भी कथाओं का सार निकालकर ऐसी पुस्तकें लिखकर प्रचार करते रहें ऐसा हमारा आशीर्वाद है । * वयोवृद्धव्रती विद्वान ब्र. पंडित जगनमोहनलालजी शास्त्री, कटनी (म.प्र.) भाई हुकमचन्द भारिल्ल कलम के धनी हैं। उनकी कलम से प्रसूत ये कथाएँ सुबोध हैं; सदुपदेशक है तथा बच्चों व युवक-युवतियों के लिए धर्माचरण व नैतिकाचरण के लिए प्रेरक हैं। नई भाषा और नई विधि में किया गया प्रथमानुयोग संबंधी उनका यह प्रयत्न स्तुत्य है । - समाज को नई दिशा में मोड़ने का जो काम संस्थाओं के बड़े-बड़े प्रस्ताव और विद्वानों के लम्बे-चौड़े व्याख्यान नहीं कर सकते, वह काम प्रथमानुयोग सम्बन्धी इसप्रकार के प्रयास सहज ही कर सकते हैं । डॉ. हुकमचन्दजी इस कार्य के लिए समर्थ विद्वान हैं। मुझे आशा है कि यदि वे इस कार्य को उठालें तो पूर्ण सफल होंगे।

Loading...

Page Navigation
1 ... 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112