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१४) एक सिद्ध- संसार में से मुक्त होकर सिद्ध . बनने के अभी तक के प्रकारों में भिन्न-भिन्न जीवों निमित्तादि की अनेक अपेक्षा से सिद्ध बननेवालों का विचार किया। अब...समय के साथ संख्या की इस अपेक्षा से। विचार किया गया है । यह तो केवली सर्वज्ञ भगवान का ही विषय है । वे ही कह सकते हैं । अन्य किसी छद्मस्थ के वश की बात ही नहीं है।
समय के बारे में पहले वैसे भी विचार कर चुके हैं । जैसे परमाणु यह पुद्गल द्रव्य की अन्तिम इकाई है । अत्यन्त सूक्ष्मतम है। ठीक उसी तरह १ समय यह काल की अन्तिम इकाई है। अत्यन्त सूक्ष्मातिसूक्ष्म है । हमारी एक पलक में अर्थात् तीव्र गति से आँख बंद कर खोलने जितने में भी असंख्य समय बीत जाते हैं । असंख्य समयों का काल तो बहुत बड़ा होता है । यह तो स्थूलं काल है... छद्मस्थ इससे अपना व्यवहार कर सकते हैं । जबकि सर्वज्ञों के लिए
तो सिर्फ १ समय जैसे सूक्ष्मातिसूक्ष्म अन्तिम इकाई का व्यवहार भी
- सुलभ है । अढाई द्वीप के संपूर्ण मनुष्य क्षेत्र में से १ समय में कम से कम कितने जीव मोक्ष में जाते हैं ? और १ समय में अधिक से अधिक कितने जीव मोक्ष में जाते हैं ? क्षेत्र कितना बडा संपूर्ण मनुष्य क्षेत्र, और काल कितना तथा उतने सूक्ष्म काल में मोक्ष में जानेवाले जीवों की संख्या कितनी? यह तो सर्वज्ञों का ही कार्य है । इस तरह कौन कितने कब मोक्ष में गए यह स्वरूप सर्वज्ञ भगवंतों ने जैसा बताया है, उसमें २ भेद होते हैं । १) एक समय में एक सिद्ध और एक समय में अनेक सिद्ध । ____लोक प्रकाश आदि ग्रन्थों में सुंदर सिद्धान्त का प्रतिपादन किया गया है । संपूर्ण अढाई द्वीप रूप मनुष्य क्षेत्र में सिर्फ १ ही समय में दूसरा कोई भी जीव मोक्ष में न गया हो और सिर्फ १ ही जीव मोक्ष में जाता हो उसे एक सिद्ध कहते हैं । उदाहरण के लिए समझिए कि भ० महावीरस्वामी १ समय में १ ही (जीव) मोक्ष में गए । अर्थात् अकेले ही मोक्ष में गए । दीपावली की अमावास्या के दिन जब श्री महावीर प्रभु ने शेष रात्रि में देह छोडा तथा उनकी आत्मा सीधी मोक्ष में गई, उस समय पूरे ढाई द्वीप में कोई भी मोक्ष में नहीं गया अतः वे एक समय में एक अकेले ही मोक्ष में गए। ऐसे अनेक हैं जो एक समय में एक अकेले ही मोक्ष में गए हैं।
विकास का अन्त "सिद्धत्व की प्राप्ति"
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