Book Title: Aadhyatmik Vikas Yatra Part 03
Author(s): Arunvijay
Publisher: Vasupujyaswami Jain SMP Sangh

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Page 502
________________ निरर्थक ऐसी सृष्टि क्यों बनाई? क्या बनाते समय भविष्य का ख्याल नहीं आया या भविष्य में कब क्या होनेवाला है इसका ज्ञान ही नहीं था? या फिर बिना सोचे विचारे सृष्टि बना दी ... और विचार किया होगा कि... जब सृष्टि का संतुलन बिगड जाएगा उस दिन फिर अवतार लेकर सुधार लेंगे। क्योंकि सामर्थ्य और सर्वशक्तिमत्ता उनमें है ही... ऐसा ईश्वर जानते थे इसलिए सृष्टि बना ली। अब कालान्तर में... अन्य-अन्य कल्प या युग में जब सृष्टि का संतुलन बिगड जाएगा, या विपरीतीकरण हो जाएगा तब पुनः पुनः अवतार लेकर ईश्वर नए नए नाम और रूप से वापिस संसार में आएंगे। और आकर अधर्म का नाश, दुष्ट-दुर्जनों का नाशादि कर्तव्य रूप कार्य करेंगे । तथा पुनः धर्म का एवं धर्मियों का उत्थान करेंगे, उद्धार करेंगे । सज्जनों को ऊपर उठाएंगे। लेकिन यहाँ प्रश्न यह उठता है कि... ऐसे सर्वज्ञ सर्वशक्तिमान-सर्वसामर्थ्यसमृद्ध तथा सर्वत्र व्याप्त विभु ऐसे ईश्वर के रहते. हुए भी सृष्टि में विपरीतता-विषमता-विचित्रता-विविधता आई कैसे? क्यों आई? किसके कारण आई? क्या ईश्वरातिरिक्त अन्य कोई कर्ता है ? क्या अन्य किसी के करने से विपरीतता आई ईश्वर ने जब अपनी की रचना करके इसमें धर्म की ही स्थापना की थी अधर्म की स्थापना स्वयं ईश्वर तो कभी करते ही नहीं हैं, तो फिर अधर्म आया कहाँ से? संस्थापक रचयिता जब ईश्वर ही है तब ठीक संचालक भी तो ईश्वर ही है । तो ऐसे सामर्थ्यवाले के संचालक रहते हुए क्या इस सृष्टि में अधर्म आ सकता है ? यदि कोई अन्य आकर अधर्म फैला जाता है तो या तो ईश्वर उस समय संचालन नहीं करते होंगे? या फिर संचालन करते होंगे तो उस प्रकार का सामर्थ्य नहीं होगा कि जिससे वे अधर्म फैलानेवाले को हटा सके। दूसरी तरफ सर्वशक्तिमान ईश्वर ही यदि सृष्टि का संचालन करते हैं, वे ही पालक हैं, तब तो फिर उनकी उपस्थिति में उनकी ही रचना में वैषम्य कैसे आया? अधर्म बढ कैसे गया? और दुर्जन-दुष्ट कैसे बढ गए? कैसे और क्यों धर्म और सज्जन घट गए? या यह बताइए कि भूतकाल के अनन्तकाल में कब दुष्ट दुर्जनों का अस्तित्व नहीं था? जैसे दुःख सुख सदा साथ रहते हैं, पुण्य-पाप, दिन-रात, अच्छे-बुरे का अस्तित्व सदा ही साथ रहते हैं । ऐसा आर्हतों का कहना है । अरे ! सर्वशक्तिमान ईश्वर का ही संचालन जब चालू था, और पहले से ही रचना के समय से ही ईश्वर ने जब सृष्टि के सभी जीवों को सखी ही बनाया था, तब उसमें क्यों और कैसे दुःख बीच में कहाँ से आ गया? आखिर ईश्वर में दया आने का क्या कारण बना? और यदि आप ऐसा कहते हैं कि ईश्वर तो स्वभाव से ही दयालु-करुणालु है । तो फिर सहज स्वभाव से अपनी सृष्टि में सतत दया के स्वभाव १४५८ आध्यात्मिक विकास यात्रा

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