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काल में प्रथम उठाने जाने के लोभ में, और सुवर्ण मुद्रा की प्राप्ति के प्रलोभन वश चोर के रूप में पकडे गए । इनकी सत्यवादिता को देखकर राजा ने यथेच्छ मांगने के लिए कहा। सोचने का समय माँगकर सामने अशोक वाटिका में गए । एक वृक्ष के नीचे बैठकर अद्भुत चिन्तन की धारा में लीन हो गए । बस, फिर क्या चाहिए? शुभ चिन्तन, और सही शुद्ध ध्यान ही तो आध्यत्मिक विकास की मुख्य कुंजी है। कपिल चढ गए शुक्लध्यान की धारा में....८ वे अपूर्वकरण गुणस्थान से आत्मा की गजब की शक्ति स्फुरायमान कर ली। बस, कर्मों की ढेर सारी निर्जरा करते करते पहुँच गए सीधे १३ वे गुणस्थान पर और देखते ही देखते वीतरागता, केवलज्ञान प्राप्त हो गया। अब कहाँ सोना माँगना है ? सवाल ही नहीं खडा होता है । देव अर्पित मुनिवेष धारण कर केवली-सर्वज्ञ के रूप में इस अवनि तल पर... सेंकडों जीवों का कल्याण करते-करते विचरते हुए एक दिन अपने भी शेष चारों अघाती कर्मों का क्षय करके निर्वाण–मोक्ष पाते हैं । ऐसे स्वयं ही बोध पानेवाले स्वयं संबुद्धों के अनेक दृष्टान्त हैं शास्त्रों में।
१३) बुद्ध-बोधित- प्रत्येक बुद्ध और स्वयं संबुद्ध की ऊँची कक्षावाले पुण्यात्मा तो बहुत विरले ही होते हैं— जबकि.... गुरु आदि के उपदेश से बोध पाकर वैराग्यवासित
होकर दीक्षा लेकर निकलनेवालों की संख्या बहत बडी होती है। अधिकांश संख्या इनकी रहती है। सभी जीव लघुकर्मी नहीं रहते हैं। कई बार अज्ञान-मोहादिवश संसार के दलदल में फसे हुए रहते हैं । ऐसे प्रसंग पर गुरु भगवंत उपदेश द्वारा जगत् को सत्य का यथार्थ मार्ग ' समझाते हैं । निष्कारण दयालु ऐसे संसार के त्यागी गुरु
महाराज...संसार त्याग का, कर्मों का क्षय करने का, मोक्ष की तरफ प्रयाण करने का मार्ग समझाते हैं। परिणाम स्वरूप जिस किसी भी जीव की.. . समझ में यह सत्य तत्त्व आ जाए तो वह जीव...संसार छोडकर दीक्षा ग्रहण करता है । संसार से सर्वथा विरक्त होकर साधना करते हैं । तथा इस उत्कृष्ट कक्षा की साधना में... चढते-चढते गणस्थानों के सोपानों का राजमार्ग पाकर इस पर आरूढ होकर क्षपकश्रेणी शुरु करता है, कर्मों की निर्जरा करता है। केवलज्ञान पाकर जो मोक्ष में जाते हैं वे बुद्ध बोधित की कक्षा के सिद्ध कहलाते हैं । जैसे कि गौतम भ. महावीर से बोध-उपदेश पाकर गुणस्थान के मार्ग पर आरूढ होकर मोक्ष में चले गए । यद्यपि वे गणधर थे फिर भी बुद्ध बोधित के प्रकार में दृष्टान्त रूप से गिने जाते हैं ।
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आध्यात्मिक विकास यात्रा