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44... यौगिक मुद्राएँ : मानसिक शान्ति का एक सफल प्रयोग
नौमुखी मुद्रा
ब्रह्मद्वार को खोलने में आशातीत सहयोग मिलता है। इस प्रकार यह एक अध्यात्म लक्षी प्रक्रिया है। यह क्रिया ऐन्द्रिक अनुभवों से विमुख हो निर्विकारीनिराकारी आत्मानुभव को प्राप्त करने के उद्देश्य से की जाती है। विधि
. किसी भी आरामप्रद आसन में बैठ जायें। . धीमी एवं लम्बी श्वास लेते हुए शरीर को शिथिल करें।
• फिर योनि मुद्रा में वर्णित विधि के अनुसार कर्ण युगल, नेत्र युगल, नासारन्ध्रों एवं मुँह को हल्के दबाव से बन्द कर दें।
• तदनन्तर मूलबन्ध एवं वज्रोली मुद्रा का अभ्यास शुरु कर दें।
• तत्पश्चात अन्तकुंभक (श्वास को भीतर रोकते) लगाते हुए श्वास के अनुभव के साथ चेतना को क्रमश: मूलाधार से स्वाधिष्ठान, मणिपुर, अनाहत, विशुद्धि, आज्ञा, बिन्दु और सहस्रार चक्र पर्यन्त पहुँचायें।