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विशिष्ट अभ्यास साध्य यौगिक मुद्राओं की रहस्यपूर्ण विधियाँ ...77 से पौद्गलिक राग-रंगों का सर्वथा विच्छेद किया जा सकें ऐसी आध्यात्मिक स्थिति का निर्माण होता है।
यह महामुद्रा की सहयोगी क्रिया है तथा उसी का प्रत्यक्षतः अनुगमन करती है। ये दोनों क्रियाएँ सम्मिलित होकर संपूर्ण शरीर एवं मन को प्राण शक्ति से आवेष्टित कर देती है। इस चर्चा से ज्ञात होता है कि महावेध मुद्रा का उद्देश्य सूक्ष्म प्राण प्रवाह को सक्रिय करते हुए कुण्डलिनी शक्ति को जागृत करना है।
महावेध मुद्रा-2 विधि
महावेध मुद्रा के संपादन की अनेक विधियाँ है। व्यक्ति अपनी क्षमता एवं रूचि के अनुसार किसी एक विधि का चयन कर सकता है। यहाँ पाठकों की सुविधा का ख्याल रखते हुए प्रचलित विधि को दर्शाया जा रहा है
• पीठ सीधी रखते हए बैठ जायें।
• फिर दाहिने पैर की एड़ी को गुदाद्वार के नीचे (एड़ी से गुदाद्वार को) दबाकर रखें तथा बायें पैर को सामने फैलाते हुए रखें। (चित्र नं. 1)