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विशिष्ट शब्दों का अर्थ विन्यास ...149 पर स्थिर करते हुए बैठना सुखासन है। मेरुदण्ड, गर्दन एवं मस्तक सीधे रहें। ___ वज्रासन- शरीर की वह स्थिति जिसमें कुछ अंगों का कठोरता पूर्वक प्रयोग किया जाता है वज्रासन कहलाता है।
इस आसन में स्थिर होने के लिए दोनों पैरों के घुटने इस तरह मोड़कर बैठे कि पैरों के तलवे नितम्ब भाग के नीचे रहें, एड़ियाँ गुदाद्वार और अंडकोश के मध्य रहे और दोनों पादांगुष्ठ एक-दूसरे से परस्पर स्पर्श करते रहें। दोनों हाथ ज्ञान मुद्रा में घुटनों पर स्थिर रहे, मेरूदण्ड व गर्दन सीधी रहें।
सिद्धयोनि आसन- सिद्धासन पुरुषों के लिए एवं सिद्धयोनि आसनस्त्रियों के लिए करणीय है।
शरीर की वह स्थिति जिससे योनि द्वार को आत्मकेन्द्रित किया जाता है सिद्धयोनि आसन कहलाता है।
सिद्धयोनि इस आसन में बैठने के लिए प्रथम दोनों पैरों को सामने सीधा फैलाकर बैठ जायें तदनन्तर दाहिने पैर को मोड़ लें और तलवे को बायीं जाँघ के भीतरी