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48... यौगिक मुद्राएँ: मानसिक शान्ति का एक सफल प्रयोग
मिलती है वहाँ नुकीला बिन्दु बनता है। इसी बिन्दु पर अपनी दृष्टि टिकायें।
• यदि नुकीला बिन्दु दिखाई नहीं पड़ता तो इसका मतलब है कि आपकी दोनों आँखें नासिकाग्र पर केन्द्रित नहीं है इसके लिए धीरे-धीरे प्रयत्नशील रहें।
• प्रारम्भ में अधिक देर तक नासिकाग्र पर दृष्टि को केन्द्रित करना सम्भव नहीं है। अतः थोड़ी-थोड़ी देर के बाद दृष्टि को विराम देते रहें और पुनर्भ्यास के लिए भी जुटे रहें। इस तरह शनैः शनैः आँखें अभ्यस्त होने लगेंगी और तब नासिकाग्र दृष्टि का समय भी बढ़ता जायेगा ।
• जब आप में एक मिनट या कुछ अधिक समय तक लगातार अभ्यास करने की क्षमता प्राप्त हो जाए तो नासिकाग्र के साथ-साथ नासिका के अन्दर श्वास-प्रश्वास के प्रवाह का अनुभव करें।
• नासारंध्रों में श्वास के प्रवाह के साथ ही हल्की ध्वनि भी सुनाई पड़ती है इस ध्वनि के प्रति सजग रहे ।
• इस तरह नासिकाग्र, श्वास-प्रश्वास की गति एवं संबंधित ध्वनि के प्रति सजग रहें। यही अगोचरी मुद्रा की अभ्यास विधि है। 13
निर्देश
1. किसी भी स्थिति में आँखों पर जोर न दें।
2. अभ्यास में दक्षता पाने हेतु कुछ सप्ताह का समय लगता है अत: जल्दबाजी न करें।
3. इस अभ्यास हेतु किसी भी प्रकार की तैयारी जरुरी नहीं है अतः दिन में किसी भी समय इसका अभ्यास किया जा सकता है।
4. आप यथासंभव अधिकतम देर तक यह अभ्यास कर सकते हैं। अभ्यास की अवधि जितनी बढ़ेगी उतनी लाभकारी है ।
इस मुद्रा को कम से कम पाँच मिनट करने का अवश्य प्रयत्न करें। सुपरिणाम
• स्वयं की उपस्थिति अन्तर्जगत में हो ऐसे चाहक व्यक्ति अथवा जिन्हें अन्तर्दर्शन की गहरी तमन्ना हो ऐसे साधक पुरुष ही अगोचरी मुद्रा का अभ्यास करते हैं।
• इस अभ्यास में आँखों को ऐसी स्थिति में रखा जाता है जिस स्थिति के वे आदि नहीं हैं। लेकिन नियमित अभ्यास से आँखों की मांसपेशियाँ अपने