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64... यौगिक मुद्राएँ : मानसिक शान्ति का एक सफल प्रयोग
उड्डीयान बन्य मुद्रा
यह इस बंध की अंतिम अवस्था है। • इस अवस्था में यथाशक्ति श्वास को रोकने का प्रयास करें।
तदुपरान्त धीरे-धीरे छाती को शिथिल कर दें, जालंधर बंध को मुक्त करें और हाथों को मोड़ लें।
- फिर धीरे-धीरे पूरक करें। यह उड्डीयान बंध मुद्रा कहलाती है।' निर्देश 1. उड्डीयान बन्ध के अभ्यास हेतु पद्मासन, सिद्धासन अथवा सिद्धयोनि
आसन उत्तम है। आपवादिक रूप से यह प्रयोग वज्रासन में भी किया जा
सकता है। . 2. इसमें दोनों घुटने जमीन से सटे रहने चाहिए, जिससे बन्ध सुविधापूर्वक
लग सके। 3. इस मुद्रा में फेफड़ों को अधिकतम खाली रखने का प्रयास करें। इसके