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पदावली।
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मात पिता समझावत मोको, हिलमिलि सब परिवार ।। वे कुमार वरि हैं शिवसुंदरि, तू वर और कुमार। मोको शरन तुम्हारी हो । नेमी० ॥ ४ ॥ मातु पितासों कही राजमति, मो पति नेमिकुमार। उनके संग घरोंगी दिच्छा, चढ़कर गढ़ गिरनार । यह कह करि व्रतधारी हो । नेमी० ॥५॥ धन्य धन्य नेमीसुर सुंदर, बालजती अविकार । धन्य धन्य जग राजमती है, शीलशिरोमनि नार । सुमिरत मंगलकारी हो । नेमी० ॥ ६॥ नेमीश्वर शिवधाम सिधारे, आठ करम निरवार । राजमती सुरधाम सिधारी, एकामव अवतार । भविकवृंद सुखकारी हो । नेमी० ॥ ७ ॥
क्यों मेरी सुरत विसारी हो। प्रमु तुम भविके भय भूरचूर कीन्हें ॥ टेक ॥ सियासतीसों शपथ लेनको, रघुकुलचन्द्र विचार । पावक कुंड प्रचंड कियो, ब्रहमंड ज्वाल विसतार । सो सरवर कर डारी हो । प्रमु०॥१॥
द्रुपदसुताको चीर दुशासन, खैचो समामझार। * तब तिय तुमहिं पुकार करी है, हे जिन जगदाधार । १ नेकु न अंग उधारी हो । प्रमु० ॥ २ ॥