Book Title: Vrundavanvilas
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Hiteshi Karyalaya

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Page 160
________________ २३० वृन्दावनविलास। विमानही विचरै है। बाहर जाय, सो विक्रिया ही जाय है।। यह आगमप्रमाण है। प्रश्न-चक्रवर्ति नारायणकै हजारों स्त्री हैं, तिनका मूल * शरीर तो पटरानीकै कह्या और स्त्रीनिकै विक्रिया जाना कया, । सो उनकै कहा विक्रियक शरीर है ? । उत्तर-तिनिकै देवनारकीकी ज्यों, वैक्रियक शरीर तो है * नाही, परन्तु औदारिकमै भी वैक्रियककी ज्यों विक्रिया होना है * कहा है। ऐसे पटरानी प्रधान है, ताकै मूल शरीर है । उत्तर विक्रिया अन्यकै जाय । यह भी आगमप्रमाण है। । प्रश्न-चौथाकालमैं आदिमै आयु काय बड़ी थी, तब * कहा पृथ्वी वड़ी थी कि यह ही थी । जो यह ही थी, तो च. *क्रवर्तिकी सेनादिक कैसे समावै थी। उत्तर–भरतक्षेत्रकी पृथिवीका क्षेत्र तो बहुत बड़ा है। हिमवतकुलाचलते लगाय जम्बूद्वीपकी कोट ताई, वीचि कर । अधिक दशलाख कोश चौड़ा है। तामैं यह आर्यखंड भी बहुत बड़ा है । यामैं वीचि यह खाड़ी समुद्र है। ताई उपसमुद्र महिगे, है। तहां आदिपुराणमै भरतचक्रवर्ति ममग्नक्षेत्रमै उहाँ गर्म दिग्विजय करी ताका वर्णन है, सो नीकै समाना। आम वार आयु काय निपट छोटी है । ताका गमन भी थोरही हो। त्रिम होय है । तातै अपने प्रश्न उपजे है। नो या ना कोई ग्रन्थमैं तो हमने बांचा नाही, अर अपनी हार उत्तर देनेकी सामथ्र्य नाही, बैंस से प्रमाण है।

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