Book Title: Vivek Chudamani
Author(s): Tadrupanand Swami
Publisher: Manan Abhyas Mandal

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Page 801
________________ ७८४ (-3५०ति.) अखंडबोधात्मनि निर्विकल्पे विकल्पनं व्योम्नि पुरः प्रकल्पनम् । तदद्वयानन्दमयात्मना सदा शान्तिं परामेत्य भजस्व मौनम् ॥५२६॥ अखण्डबोधात्मनि = मां शानस्व३५ भने निर्विकल्पे = નિર્વિકલ્પમાં विकल्पनम् = કોઈ પણ જાતની ભેદની કલ્પના કરવી તે व्योम्नि = આકાશમાં पुरः प्रकल्पनम् = ना२नी यन। ४२१. छ. . तत् सदा = भाटे निरंतर अद्वयानन्दमयात्मना = अद्वितीय मानं १३५ परां शान्तिं एत्य = ५२५. शान्ति प्राप्त अरीने मौनं भजस्व = मौनने प्राप्त था. (७४-७५०लि) तूंष्णिमवस्था परमोपशान्ति र्बुद्धरसत्कल्पविकल्पहेतोः । ब्रह्मात्मना ब्रह्मविदो महात्मनो यत्राऽद्वयाऽऽनन्दसुखं निरंतरम् ॥५२७॥ असत् कल्पविकल्पहेतोः = असत संs८५-वि.४८५ ४२॥वनारी = बुद्धिनी ब्रह्मात्मना = ब्रममावमा स्थिति. (४) ब्रह्मविदः महात्मनः = બ્રહ્મજ્ઞાની મહાત્માની तूष्णिं अवस्था = मौन अवस्था छ (ते. ४) ००७पति) बुद्धेः

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