Book Title: Visheshavashyakbhashya ka Maldhari Hemchandrasuri Rachit Bruhadvrutti ke Aalok me Gyanmimansiya Adhyayan
Author(s): Pavankumar Jain
Publisher: Jaynarayan Vyas Vishvavidyalay

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Page 11
________________ (viii) . . * * * * इन्द्रिय के पांच प्रकारों का स्वरूप पांच इन्द्रियों के भेद * द्रव्य और भाव-इन्द्रिय के प्रभेद निर्वृत्ति द्रव्येन्द्रिय का स्वरूप और भेद उपकरण द्रव्येन्द्रिय का स्वरूप निर्वृत्ति और उपकरण द्रव्येन्द्रिय में अन्तर * लब्धि और उपयोग भावेन्द्रिय का स्वरूप * इन्द्रियों के प्रभेदों की प्राप्ति का क्रम इन्द्रियों का क्षयोपशम भावेन्द्रिय एवं द्रव्येन्द्रिय में कार्य-कारण भाव इन्द्रियों से ज्ञानोत्पत्ति जीव की अनिन्द्रियता श्रोत्रादि इन्द्रियों की प्राप्यकारिता-अप्राप्यकारिता . श्रोत्रेन्द्रिय की प्राप्यकारिता . चक्षु इन्द्रिय की अप्राप्यकारिता पांच इन्द्रियों का विषय और उनका विषय क्षेत्र . श्रोत्रेन्द्रिय की पटुता . अंगुल प्रमाण का स्वरूप इन्द्रियाँ कब और कैसे विषय को ग्रहण करती हैं भाषा पुद्गल का ग्रहण और विसर्जन कालमान भाषा के पुद्गलों द्वारा व्याप्य क्षेत्र मन का स्वरुप मन का अस्तित्व मन का स्वरूप मन के प्रकार मन के अन्य प्रकार मन का स्थान मन का अधिकारी कौन? + एकेन्द्रियादि में मन अर्थोपलब्धि में मन का महत्त्व मन का उपयोग क्या मन और मस्तिष्क एक हैं? मन इन्द्रिय या अनिन्द्रिय? . मन और इन्द्रियों की सापेक्षता विशेषावश्यकभाष्य के अनुसार मन की अप्राप्यकारिता * मन के कार्य आत्मा ज्ञानी के प्रकार . . . . . 101 101 105

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