Book Title: Veerstuti
Author(s): Amarmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 8
________________ अस्याध्याय प्रातःकाल, मध्याह्न काल, संध्याकाल और मध्यरात्रिये चार संध्याएं दो घड़ी तक । आषाढ़ शुक्ला १५, श्रावण वदी १। भाद्रपद शुक्ला १५, आश्विन वदी १। आश्विन शुक्ला १५, कार्तिक वदी १। औदारिक शरीर-सम्बन्धी १० अस्वाध्याय-अस्थि-हड्डी, मांस, रक्त, बिष्ठा आदि अशुचि, पास का जलता हुआ मसान, चन्द्र-ग्रहण, सूर्य ग्रहण, राजा आदि देश के प्रधान एवं प्रमुख अधिकारी की मृत्यु, संग्राम, धर्म स्थान में मनुष्य और पंचेन्द्रिय तियन्च का मृत कलेवर । आकाश सम्बन्धी १० अस्वाध्याय- उल्कापात (तारा टूटना), दिशाओं का लाल होना। चातुर्मास को छोड़कर मेघ की गर्जना और बिजली चमकना। बादलों के न होने पर भी... आकाश में सुनाई देनेवाली गर्जना । शुक्ल और कृष्णपक्ष के : प्रारंभ की तीन रात्रि तक का संध्या काल, एक पहर पर्यन्त। आकाश में यक्ष जैसी आकृति । श्वेत और कृष्ण रंग की धुन्ध । आँधी आदि के होने से धूल-वृष्टि । कालिक सूत्र आचारांग, सूत्रकृतांग आदि दिन और रात्रि __ के दूसरे और तीसरे पहर में नहीं पढ़ने चाहिए। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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