Book Title: Veerstuti
Author(s): Amarmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 26
________________ वोर-स्तुति जिस प्रकार संसार में पर्वतों का राजा सुमेरु यशस्वी माना गया है, उसी प्रकार भगवान महावीर भी तीन लोक में महातिमहान यशस्वी थे। धर्म-साधना में अतीव उग्र श्रम करने वाले ज्ञातपुत्र महावीर जाति, यश, दर्शन, ज्ञान और शील आदि सद्गुणों में सब से श्रेष्ठ थे। टिप्पणी-भगवान महावीर के वर्धमान, सन्मति आदि अनेक नाम थे, उनमें से ज्ञातपुत्र भी एक नाम था, जो उनके राजवंश के कारण बोला जाता था। भगवान महावीर ने काश्यप वंश के अन्तर्गत क्षत्रियों की ज्ञात शाखा में जन्म लिया था। प्रसिद्ध बौद्ध विद्वान राहुलजी की शोध के अनुसार आजकल भी बिहार में ज्ञात जाति है, जो अब जथरिया के नाम से प्रसिद्ध है। भगवान महावीर के भक भारत की इस प्राचीन महाजाति के साथ, क्या अब फिर अपना पुराना सम्बन्ध स्थापित करेंगे। ज्ञात जाति आजकल कहाँ और कैसे है, इसके लिए राहुलजी की विचार-धारा इस प्रकार है "ज्ञातृ जाति आज भी वैशाली नगरी (जिला मुजफ्फरपुर के अन्तर्गत बसाढ़) के आस-पास जथरिया भूमिहार जाति के रूप में विद्यमान है। 'जथरिया' 'ज्ञात' शब्द का ही अपभ्रश मालूम होता है । ज्ञातृ = ज्ञातर, जातर, जतरिया, जथरिया का क्रम-विकाश कुछ असंगत भी नहीं है। भगवान महावीर का गोत्र काश्यप था। जथरिया जाति का गोत्र भी काश्यप ही है। जथरिया जाति के नाम सिंहान्त हैं, जो क्षत्रिय होने का सूचक है । आज भी जथरिया जाति में बहुत से जमींदार और राजा हैं । ज्ञातृ जाति, लिच्छवी क्षत्रियों की ही एक सुप्रसिद्ध शाखा थी।" Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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