Book Title: Veerstuti
Author(s): Amarmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 55
________________ ४६ वीर-स्तुति श्री महावीर - स्तोत्र सकल - शक्र - समाज - सुपूजितं, सकल - संयति - संतति - संस्तुतम् । विमल - शील-विभूषण - भूषितं, भजत तं प्रथितं त्रिशला - सुतम् ।।१।। कलिल - कानन - भंजन - कुंजरं, शिव - सरोरुह - संचयशंवरम् । कुगति - पंजिनी - रजनी - करं, भजत तं प्रथिनं त्रिशला - सुतम् ॥२॥ कूमति - वादि - दिवान्ध - दिवाकर, कुटिल - काम · कुरंग--वनेश्वरम्सुखद - शान्त - सुधारस - सागरं, भजत तं प्रथितं त्रिशला - सुतम् ॥३।। रुचिर - राज्यसुखं भविनां कृते, द्रततरं परिहत्य च येन सा। भगवता यतिता सुतता धृता, भजत तं प्रथितं त्रिशला - सुतम् ।।४।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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