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वीर-स्तुति श्री महावीर - स्तोत्र सकल - शक्र - समाज - सुपूजितं,
सकल - संयति - संतति - संस्तुतम् । विमल - शील-विभूषण - भूषितं,
भजत तं प्रथितं त्रिशला - सुतम् ।।१।।
कलिल - कानन - भंजन - कुंजरं,
शिव - सरोरुह - संचयशंवरम् । कुगति - पंजिनी - रजनी - करं,
भजत तं प्रथिनं त्रिशला - सुतम् ॥२॥
कूमति - वादि - दिवान्ध - दिवाकर,
कुटिल - काम · कुरंग--वनेश्वरम्सुखद - शान्त - सुधारस - सागरं,
भजत तं प्रथितं त्रिशला - सुतम् ॥३।।
रुचिर - राज्यसुखं भविनां कृते,
द्रततरं परिहत्य च येन सा। भगवता यतिता सुतता धृता,
भजत तं प्रथितं त्रिशला - सुतम् ।।४।।
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