Book Title: Veerstuti
Author(s): Amarmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 34
________________ वोर-स्तुति २५ जोहेसु णाए जह वीससेणे, पुप्फेसु वा जह अरविंदमाहु ! खत्तीण सेठे जह दंत-वक्के, इसीण सेटठे तह वद्धमाणे !!२२!! सब शर-वीरों में अधिकतर विश्वसेन प्रसिद्ध है । सारे सुगंधित-पुष्प-चय में श्रेष्ठतर अरविंद है। सब क्षत्रियों में श्रेष्ठ जैसे दान्तवाक्य सुधीर है। सब साधुओं में श्रेष्ठ तैसे वीतरागी वीर हैं ॥२२॥ शूर वीरों में यशस्वी वासुदेव अपार है, अखिल पुष्पों में कमल अरविन्द गन्धागार है। क्षत्रियों में चक्रवर्ती सार्व - भौम प्रधान है, विश्व के ऋषि-वृन्द में श्री वर्द्धमान महान है ।।२२।। जिस प्रकार वीर योद्धाओं में वासुदेव महान् है फूलों में अरविन्द कमल महान् है, क्षत्रियों में चक्रवर्ती महान् है, उसी प्रकार ऋषियों में वर्द्धमान भगवान महावीर सबसे महान थे। टिप्पणी-उक्त उपमाएँ भगवान के-शूरता, वीरता, दृढ़ता, सर्व-प्रियता मनोहरता, इन्द्रिय-निग्रहता और भव-भय से रक्षकता आदि, सद् णों को प्रकाशित करती हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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