Book Title: Vasunandi Shravakachar
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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प्राकृत-धातुरूप-संग्रह
१७१
संचिटइ संछुहइ
५२१
संजायइ
३७२, ५२३
२४८-सचिट्ट = सम् + स्था (वैठना) २४६-संछुह = सम् + क्षिप्
(क्षेपण करना) २५०-संजाय = सम् + जन
(उत्पन्न होना) २५१-संठा = सम् + स्थापय्
(स्थापन करना) २५२-संभव = सम् + भू (होना) २५३-संभूस = सम् + भूष
(अलंकृत करना) २५४-संसोह = सम् + शोधय
(शुद्ध करना)
संठाविऊण
स० कृ०
४०८
.
io
संभवइ संभूसिऊण
200 MG
स० कृ०
संसोहिऊण
स० कृ०
(हणइ
८३, ११३
हणह বিতা हणिऊण
व० ल० आ० ल. क०व० ल० स० कृ० व० ल०
२५५-हण = हन् (बध करना)
५२५ ६७,५३८
हणंति हम्ममाणो
१८२
२५६-हम्म = हन् (बध करना) २५७-हर = हृ (हरण करना)
२५८-हव = भू (होना)
हरिऊण हवा हवे हवेइ हवंति हसमाणेण
२५९-हस = हस् (हसना)
व० कृ० व० ल० ८६, १०४, १०८ स० कृ०
१०२ व० ल० ५६, १८, ११८ इत्यादि वि० ल० २२१, २२३ इत्यादि व० ल.
४८३ " . ६०, २०७, २६० व० कृ०
१६५ व० ल० णि०व० ल० भू० कृ०
१३० व० कृ०
१७७ क०व० ल० कृ० वि० ल.
६७
१४,४६ १४०, १७३, २१३
२६०-हिंड = हिण्ड
(भ्रमण करना)
१०७
(देखो २५३) २६१-हिंस = हिंस् (हिंसा करना)
हिंडाविज्ज हिंडिओ हिंडंतो हिप्पा हिंसियव्वा हुज्जा
•७३ २०६
हुँति
होड
२६२-हु-भू (होना)
१२६, १३१
होदि होऊण होज्जउ होति होहा होहिंति
स० कृ० आ० ल. व० ल० भ० ल०
६२, २३० इत्यादि
१६६ ५३२
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