Book Title: Vasunandi Shravakachar
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 195
________________ प्राकृत-शब्द-सग्रह २०३ सुत - पुस्तक पोथी पुत्त पुत्थय पुप्फ पुष्फंजलि पुरिस *पुरो पुष्प पुष्पाञ्जलि पुरुष पुरतः १८८ ३६२ २१७ ३८२ २२६ २५६ २२६ पुन्व पुवाहरणा पुहवी पूर्वाभरणा पृथिवी ३६१ पूइ पूति १६ पूइफल पूंगीफल पूजा H पूय (पूत पूया फूलोंकी अजुलि मनुष्य आगे पूर्व दिशा पूर्वरूप आभूषणवाली धरित्री दुर्गन्धित वस्तु, पीव सुपारी अची पवित्र अर्चा प्रतिष्ठा-सम्बधी क्रियाविशेष सजिल्द शास्त्र पर्वके दिनका उपवास कमल आगन पाच सख्या तिथि-विशेष पाँच प्रकारका पाँचो इन्द्रियवाला जीव श्रेणी १३५ ३८१ पोक्खणविहि पोत्थय ४०६ ३५५ पोसह २७६ ४३३ पूजा प्रोक्षणविधि पुस्तक प्रोषध पंकज प्राङ्गण पंच पंचमी पंचविध पचेन्द्रिय पंकय पंगण पंच पंचमी पंचविह पंचिंदिय ३०४ २५ १२ १७६ पंति पंक्ति ३७४ मास-विशेष, फागुन कठोर फग्गुण फरुस फल फलिह परुष फल स्फटिक ३५३ १३५ २६५ •४७२ फल, अतिम परिणाम मणि-विशेष स्पष्ट, व्यक्त दीप्त, कम्पित विदारण .८४ फुरिय फोडण स्फुरित स्फोटन ४६५ बज्झ बत्तीस बद्धाउग बला बलिवत्ति बहिर बहिणी बाह्य द्वात्रिशत् बद्धायुष्क बलात् बलिवर्ति बाहिर, बहिरग, बन्धन, बद्ध, बत्तीस जिसकी पहले आयु बँध चुकी हो जबरदस्ती भेट या पूजामे चढ़ानेकी बत्ती । बहरा बहिन १८६ २६३ २४६ ११८ ४२१ २३५ बधिर भगिनी

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